- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- Sawan 2023: एमपी के इस...
Sawan 2023: एमपी के इस ऐतिहासिक शिव मंदिर में दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं को सभी प्रकार के ऋणों से मिलती है मुक्ति
Rinmukteshwar Mahadev Temple: मध्यप्रदेश में एक शिव मंदिर ऐसा भी है जो कुत्ते की समाधि पर बना है। इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक शिव मंदिर का इतिहास एक कुत्ते की वफादारी से जुड़े होने की मान्यताएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां पहुंचने वाले भक्तों को हर तरह के ऋण से मुक्ति मिलती है। सावन के दिनों में यहां लोगों का तांता लगा रहता है। दूर-दूर से शिव मंदिर में लोग पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं।
ऋणमुक्तेश्वर महादेव नाम से है मंदिर
एमपी के डिंडोरी जिले में भगवान शिव का अंति प्राचीन मंदिर है। जो जिला मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। कुकर्रामठ गांव में स्थित भगवान शिव के इस मंदिर को ऋणमुक्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यह ऐतिहासिक एवं प्राचीन मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है। ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा पाठ करने से मनुष्य को हर तरह के ऋणों से मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर कल्चुरी काल का बताया जाता है। इस मंदिर के अंदर करीब तीन फीट की लंबाई का शिवलिंग मौजूद है। सावन महीने में लोग यहां से दूर-दूर से पूजा पाठ के लिए पहुंचते हैं। वहीं सोमवार के दिन ऋण मुक्तेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कांवडिये नर्मदा नदी से जल लेकर यहां काफी संख्या में पहुंचते हैं।
मंदिर का यह है इतिहास
मंदिर के इतिहास के संबंध में ऐसा कहा जाता है कि वर्षों पूर्व लाखा नामक बंजारे ने धन की आवश्यकता पड़ने पर राजा के पास अपने कुत्ते को गिरवी रख दिया था। इसी दौरान राजमहल में चोरी की घटना हो गई। कुत्ते की सूझबूझ से राजा को चोरी गया पूरा सामान वापस मिल गया था। कुत्ते की वफादारी से राजा प्रसन्न हुए और कुत्ते के गले में बंजारे के नाम खत लिखकर उसको आजाद कर दिया था। कुत्ता जैसे ही बंजारे के समीप पहुंचा तो लाखा बंजारा को यह लगा कि वह महल से भाग आया है। कुत्ते को बंजारे ने मौत के घाट उतार दिया। किंतु बंजारे ने जैसे ही कुत्ते के गले में लटका खत पढ़ा तो उसको बहुत अफसोस हुआ। स्थानीय लोगों की मानें तो ऋणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर और उनके गांव का नाम कुकर्रामठ होना इस दावे का जीता जागता प्रमाण है। मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता भी है कि यदि किसी को कुत्ता काट लेता है तो मंदिर के अवशेष पत्थरों को घोलकर पीने से कुत्ते का जहर समाप्त हो जाता है। किंतु जानकार इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां मेले का आयोजन होता जिसमें काफी संख्या में लोग अपनी मन्नतें लेकर पहुंचते हैं। वहीं सावन के महीने में यहां जल चढ़ाने लोगों का तांता लगा रहता है।