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एमपी में महापौर पद पर हुआ आरक्षण का निर्णय, जानें किन निकायों में किस वर्ग को मिला रिजर्वेशन
मध्य प्रदेश पंचायत एवं नगरीय निकायों के आरक्षण: कोर्ट के आदेश के बाद एमपी में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। राज्य निवार्चन आयोग के निर्देश पर बुधवार को प्रदेश भर में पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के लिए आरक्षण प्रक्रिया शुरू की गई है। जहां पंच, सरपंच, जनपद पंचायत अध्यक्षों के साथ ही महापौरों के लिए भी आरक्षण की प्रक्रिया की गई है।
यह निकाय आरक्षण मुक्त
प्रदेश के नगर निगमों में महापौर पद के लिए किए गए आरक्षण के जो नतीजे सामने आ रहे हैं उसके तहत रीवा, जबलपुर, इंदौर, और सिंगरौली में सामान्य वर्ग के लिए ये पद आरक्षित हुआ है, जबकि सागर, कटनी, देवास, ग्वालियर नगर निगमों में महापौर का पद सामान्य महिला के खाते गया है। इन नगरीय निकायों में सामान्य वर्ग को आरक्षण मिलने के बाद राजनैतिक सुगबुगाहट तेज़ हो गई है, विभिन्न पार्टियां अब अपने हिसाब से अपने-अपने कैंडिडेट्स का चयन करने में जुट गई हैं. हालांकि इन निकायों में कोई आरक्षण नहीं है इसका मतलब ये कतई नहीं है कि यहां दूसरे वर्ग के प्रतिभागी चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. आरक्षण मुक्त का तातपर्य है कि इन सीटों से किसी भी वर्ग का केंडिडेट चुनाव लड़ सकता है. लेकिन सामान्य महिला आरक्षण वाली सीटों में किसी भी वर्ग के पुरुष चुनाव नहीं लड़ सकते।
ये निकाय आरक्षित
एमपी की राजधानी भोपाल, सतना, खंडवा और रतलाम नगर निगम के खाते में ओबीसी तथा उज्जैन, छिंदवाड़ा और मुरैना नगर निगम में महापौर का पद अनुसूचित जाति जनजाति के लिए आरक्षित हो गया है। मतलब इन निकायों में सिर्फ विशेष वर्ग के लोग ही चुनाव में बतौर केंडिडेट के रूप में खड़े हो सकते हैं.