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MP में धर्मांतरण पर फांसी की सजा: देश का पहला ऐसा राज्य जहां ऐसी जटिल सजा की तैयारी, लेकिन इतनी आसान नहीं कानूनी राह

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कहा कि मध्यप्रदेश में धर्मांतरण पर फांसी की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा। यदि यह प्रस्ताव कानून बनता है, तो मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जहां धर्मांतरण के मामलों में फांसी की सजा दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता कानून में संशोधन करके फांसी की सजा का प्रावधान किया जाएगा। वर्तमान में, इस कानून के तहत अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। सीएम के इस बयान पर कानूनी विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ का मानना है कि इस फैसले को लागू करना आसान नहीं होगा, जबकि कुछ का कहना है कि सरकार कानून में संशोधन कर सकती है।
मध्यप्रदेश में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 में लागू हुआ था। वर्तमान में, भारत में कोई भी राज्य धर्मांतरण के मामलों में फांसी की सजा का प्रावधान नहीं रखता है।
मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम- 2021: कानून के प्रावधान
- जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल तक कैद की सजा और 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा।
- नाबालिग और SC-ST के मामले में 2 साल से लेकर 10 साल तक कैद की सजा और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा।
- अपना धर्म छिपाकर शादी करने और उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने पर 3 साल से लेकर 10 साल की कैद और 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा।
- सामूहिक धर्म परिवर्तन (दो या दो से ज्यादा का एक ही समय पर धर्म परिवर्तन) कराने पर 5 साल से लेकर 10 साल की कैद और 1 लाख रुपए के जुर्माने की सजा।
- एक से ज्यादा बार कानून के खिलाफ जाकर अपराध करने पर 5 साल से लेकर 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान है।
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों में उम्रकैद का प्रावधान है। भारत के 11 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून मौजूद हैं। राजस्थान सरकार ने भी धर्मांतरण विधेयक पेश किया है, जो कानून बनने पर 12वां राज्य बन जाएगा। पहले जानिए धर्मान्तरण को लेकर मध्य प्रदेश के मुखिया ने क्या कहा..
"धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के माध्यम से, जो धर्मांतरण कराएंगे उनके लिए फांसी का प्रबंधन हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है। किसी हालत में न तो धर्मांतरण, न दुराचरण चलेगा, सरकार ने संकल्प लिया है कि इनके साथ कठोरता से पेश आएंगे।"
मुख्यमंत्री के बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या धर्मांतरण पर फांसी की सजा संभव है? कानूनी विशेषज्ञों की इस पर अलग-अलग राय है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एडवोकेट और क्रिमिनल लॉ में पीएचडी डॉ. विनय हसवानी का कहना है कि सरकार कानून में संशोधन कर सकती है। वहीं, सीनियर एडवोकेट सचिन वर्मा का भी यही मानना है। कांग्रेस सांसद और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विवेक तन्खा का कहना है कि यह संवैधानिक और कानूनी तौर पर संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट चारू माथुर का कहना है कि इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार को धर्म स्वतंत्रता कानून में संशोधन करना होगा, जिसे विधानसभा से पारित कराना होगा और फिर केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस पर कई आपत्तियां लग सकती हैं।
विवेक तन्खा का कहना है कि इसके लिए भारतीय न्याय संहिता में संशोधन की आवश्यकता होगी, जिसमें अटॉर्नी जनरल की राय ली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि फांसी की सजा रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामलों में दी जाती है, और धर्मांतरण पर फांसी की सजा संभव नहीं है।
संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन यदि किसी विषय पर केंद्र का कानून है, तो राज्य का कानून लागू नहीं होगा।