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एमपी में नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों में 50 हजार छात्रों के प्रवेश पर संकट
मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर (Madhya Pradesh University of Medical Sciences, Jabalpur) से संबद्ध नर्सिंग व पैरामेडिकल के 514 कॉलेजों में प्रवेश को लेकर अब तक निर्णय नहीं हो सका है। इससे लगभग 50 हजार छात्रों पर प्रवेश को लेकर संकट के बादल छाए हुए हैं। यह आलम तब है जब सत्र शुरू हुए साढ़े तीन माह से अधिक बीत चुके हैं। इसका कारण सत्र 2023-24 को सत्र शून्य करने को लेकर अब तक चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा निर्णय नहीं लेना है।
मेडिकल विवि ने जून 2023 में ही कार्यपरिषद की अनुशंसा पर नर्सिंग व पैरामेडिकल का सत्र 2023-24 को शून्य करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया था। लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग के अफसरों ने अब तक न सत्र शून्य करने का निर्णय लिया न ही प्रवेश देने के लिए निर्देश जारी किया। सत्र शून्य करने का प्रभाव केवल निजी कॉलेजों पर ही नहीं, बल्कि सरकारी नर्सिंग कॉलेज व पैरामेडिकल कॉलेजों पर भी पड़ेगा। साथ ही प्रदेश के ऐसे प्राइवेट यूनिवर्सिटी जो नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स संचालित करती हैं, वे भी विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं दे पा रहे। उधर डीएमई अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले में मैं कोई कमेंट नहीं करूंगा।
एमपी एनआरसी ने सत्र 2023-24 को प्रदेश के नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेज के साथ निजी विवि को भी मान्यता जारी नहीं की है। इससे मेडिकल विवि जबलपुर ने ऐसे कॉलेजों को संबद्धता नहीं दी है। यदि शासन सत्र शून्य करने के प्रस्ताव को अमान्य करता है तो विवि को कम से कम छह माह संबद्धता देने की प्रक्रिया में लगेंगे। इससे सत्र एक साल लेट हो जाएगा। पूर्व की भांति जिस तरह सत्र 2020- 21 में कॉलेजों को भूतलक्षी प्रभाव से संबद्धता देने के मामले में परीक्षा कराने का अटका हुआ है। मेडिकल यूनिवर्सिटी हाईकोर्ट की फटकार से बचने व सत्र पटरी पर लाने के लिए सत्र 2023-24 को शून्य घोषित कराना चाहती है।