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एमपी में अनुकंपा नियुक्ति पर लगाई गई रोक, कलेक्टरों को दिए गए यह निर्देश
विभाग के इस निर्णय से अनुकंपा शब्द भी अपमानित हो रहा है। ऐसे में उस कर्मचारी के परिजनों के सहयोग की अपेक्षा कैसे की जा सकती है जब विभाग इस तरह से नियम निर्देश जारी कर रहे हैं। लेकिन विभाग के इस निर्णय के पीछे उसका अपना एक मजबूत तर्क भी है। आइए इस पूरे मामले के बारे में जानकारी हासिल करें।
क्या है पूरा मामला
मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग ने अनुकंपा नियुक्ति पर रोक लगा दी है। कलेक्टरों को अनुकंपा नियुक्ति देने से रोकने के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं।
जानकारी के अनुसार मुख्य अभियंता मदन सिंह डाबर ने इस संबंध में अपने क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि कलेक्टर को रिक्त पदों की जानकारी न दें। जिससे कलेक्टर अनुकंपा नियुक्ति न कर पाए।
इसके साथ ही मुख्य अभियंता मदन सिंह डाबर ने तत्कालीन मुख्य अभियंता एमजी चौबे द्वारा जारी किए गए सर्कुलर की भी जानकारी दी है। उनका कहना है कि 11 जून वर्ष 2014 में श्री चौबे द्वारा कहा गया था कि प्रदेश स्तर पर अधिक में कर्मचारी कार्यरत होने के कारण जिला कलेक्टरों को आधिक्य पदों की जानकारी न भेजी जाए।
विभाग का है अपना तर्क
जल संसाधन विभाग का कहना है कि यह निर्णय लेने की उनकी अपनी मजबूरी है। बताया गया है कि विभागीय संरचना संख्या में पद भरे हुए हैं। ऐसा नहीं है की विभाग में पद रिक्त नहीं होंगे। यह विभाग का ही कहना है कि मंडल कार्यालय संभागी कार्यालय में वर्ग 3 एवं अन्य संवर्ग के कर्मचारियों की रिक्तता होगी। लेकिन विभाग में पहले से तैनात कर्मचारियों से ही उक्त पदों की पूर्ति की जाएगी।