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एमपी में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का सीएम शिवराज ने किया अनावरण
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ओंकारेश्वर में हिंदू संत आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। इसके पूर्व सीएम ने अपनी पत्नी के साथ पूरे विधि-विधान के साथ साधु संतों के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा-अर्चना की। आठवीं शताब्दी के दार्शनिक और हिंदू धर्म में प्रतिष्ठित शंकराचार्य की अष्टधातु से बनी प्रतिमा का नाम एकात्मकता प्रतिमा रखा गया है। सीएम ने स्वामी अवधेशानंद गिरी और दूसरे संतों की मौजूदगी में इसका अनवारण किया। संत और सीएम अस्थायी एलिवेटर से 75 फीट ऊपर पहुंचे, जहां पूजा के बाद प्रतिमा की परिक्रमा की।
नर्मदा नदी के किनारे पहाड़ी पर है स्थित
आदि शंकराचार्य की यह प्रतिमा खंडवा में नर्मदा नदी के किनारे सुरम्य मांधाता पहाड़ी पर स्थित है। इसका अनावरण पूर्व में 18 सितम्बर को किया जाना था किंतु भारी बारिश की वजह से कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम के मार्गदर्शन में प्रतिमा को तैयार किया गया है। यह प्रतिमा आदि शंकराचार्य की विरासत और उनकी गहन शिक्षाओं को प्रदर्शित करती है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बहुप्रतीक्षित दृष्टिकोण वसुधैव कुटुंबकम को पूरा करेगी।
अद्वैत लोक की रखी आधारशिला
आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थल के करीब ब्रह्मोत्सव में 5 हजार साधु-संत जुटे। यहां अद्वैत लोक के लिए भूमिपूजन हुआ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी आधारशिला रखी। अद्वैत लोक वर्ष 2026 तक बनकर तैयार होगा। यह ओंकार पर्वत की 11.5 हेक्टेयर जमीन पर आकार ले रहा है। जिसके मध्य में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की गई है। कार्यक्रम में स्वामी अवधेशानंद जी गिरी महाराज, परमानंद जी, स्वामी स्वरूपानंद जी और स्वामी तीर्थानंद जी भी पहुंचे। पत्नी साधना सिंह के साथ मुख्यमंत्री चतुर्वेद पारायण महायज्ञ में शामिल हुए। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर भी हवन पूजन में शामिल हैं।
प्रतिमा का 100 टन है वजन
ओंकारेश्वर पर्वत पर स्थापित आदिगुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का वनज 100 टन है। यह एकात्मकता का प्रतीक है जिसको ‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ का नाम दिया गया है। यह प्रतिमा 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है। जिसे 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक और 8 प्रतिशत टिन को मिलकर बनाया गया है। प्रतिमा के 290 पैनल निर्माण कंपनी एलएंडटी ने जेटीक्यू चाइना से तैयार कराया है। इस सभी हिस्सों को ओंकारेश्वर लाया गया जिसके बाद इन्हें जोड़ने का काम किया गया। आदिगुरु शंकराचार्य के लिए 112 फीट की माला श्रृंगेरी शारदा पीठ से लाई गई है। यह मामला 10 हजार रुद्राक्ष से बनी हुई है। जिसमें सभी पांचमुखी रुद्राक्ष हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज आदिगुरु फिर पधार गए हैं, उनके चरणों में प्रणाम। यह माला उपयुक्त अवसर पर आदिगुरु को पहनाई जाएगी, अभी सुरक्षित रखते हैं।
सन्यास लेने के बाद पहुंचे थे ओंकारेश्वर
केरल में जन्मे शंकराचार्य बाल्यावस्था में सन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे ऐसा माना जाता है। जहां पर उनकी मुलाकात अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से हुई। उन्होंने यहां पर रहकर चार साल तक विद्या प्राप्त की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शंकराचार्य ने द्वैत वेदांत दर्शन को लोगों तक पहुंचाने के लिए ओंकारेश्वर से 12 साल की उम्र में देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रस्थान किया था। मंदिरों की नगरी में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा को लगभग 21सौ करोड़ की लागत से बनाया गया है। 108 फिट ऊंची प्रतिमा के साथ मध्यप्रदेश सभी धर्मों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा।