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एमपी में रूठे इन्द्र देव को मनाने महाकाल के दरबार पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज, विशेष अनुष्ठान में हुए शामिल
मध्यप्रदेश में इस बार इन्द्र देवता रूठे हुए नजर आ रहे हैं। कई जिलों में बारिश का आंकड़ा अभी तक आधा भी नहीं पहुंच पाया है। बारिश नहीं होने से बोनी कर चुके किसानों के सामने फसल मुरझाने का भी संकट है। किसानों में माथे पर इसको लेकर चिंता की लकीरें भी खिंचने लगी हैं। वहीं गर्मी और उमस से लोगों का बुरा हाल है। इन्द्र देव को मनाने के लिए जहां लोगों द्वारा जतन किए जा रहे हैं तो वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी जन कल्याण व अच्छी बारिश की कामना को लेकर उज्जैन स्थित बाबा महाकाल के दरबार में पहुंचकर विशेष अनुष्ठान में शामिल हुए।
किया जा रहा महारुद्र अनुष्ठान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सोमवार की सुबह उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे। वह देवास रोड स्थित पुलिस लाइन पर हेलीकॉप्टर से पहुंचे। मंदिर में उन्होंने सर्वप्रथम बाबा महाकाल का पूजन-अर्चन अभिषेक किया। देश के साथ ही प्रदेश में अच्छी बारिश व जनकल्याण की भावना को लेकर श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति ने महारुद्र अनुष्ठान का आयोजन किया। जिसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए।
जनकल्याण व अच्छी बारिश की कामना
महाकाल मंदिर में 66 पंडे-पुजारियों द्वारा महारुद्र अनुष्ठान किया जा रहा है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य पं. राम शर्मा के मुताबिक देश और प्रदेश में अच्छी बारिश एवं जन-जन का कल्याण हो इसी कामना को लेकर यह विशेष अनुष्ठान किया जा रहा है। इस अनुष्ठान के संपन्न होने तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल रहे। उनके साथ जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी इसमें शामिल हुए।
सामान्य से काफी कम बारिश
मध्यप्रदेश में इस बार बारिश का आंकड़ा बहुत ही कम है। सामान्य से 13 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई है। इस वजह से देवाधिदेव महादेव महाकाल को मनाना नितांत आवश्यक हैं पहली बार भादौ मास में यह अनुष्ठान हो रहा है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार वर्षा ऋतु में एक दिन शेष रहने पर भी इस प्रकार का अनुष्ठान किया जा सकता है। एमपी में खंड वृष्टि के चलते भादौ मास में पहली बार भगवान महाकाल का महारुद्राभिषेक अनुष्ठान किया गया। सोमवार की सुबह पं. घनश्याम पुजारी के आचार्यत्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन कर अनुष्ठान का शुभारंभ किया। इसके बाद सतत जलधारा प्रवाहित की गई। नंदी हॉल में 66 बाह्मणों ने बैठकर महारुद्राभिषेक के 102 आवर्तन किए।