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MP में ब्लैक ऑउट का खतरा! डिमांड से 70 फीसदी कम हो रही कोयले की आपूर्ति
मध्यप्रदेश के पॉवर प्लांट्स में आवश्यकता से 70 फीसदी कम कोयले की आपूर्ति इन दिनों हो पा रही है। ऐसे में ब्लैक ऑउट का खतरा एमपी में मंडराने लगा है। खबरों के मुताबिक ज्यादातर पॉवर प्लांट्स लोकल कोयले पर निर्भर हैं और समय रहते कोयले की समस्या सुलझाई नहीं गई तो बिजली की कमी आने से अंधेरे का खतरा मडंरा रहा है।
कोयले की है ऐसी है स्थित
खबरों के तहत कोयला नही मिल पाने के चलते उसका स्टॉक घटकर 3 लाख मीट्रिक टन से भी नीचे पहुंच गया है। बीरसिंहपुर, अमरकंटक और श्रीसिंगाजी पॉवर प्लांट एवं घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी में कुल 2 लाख 99 हजार 100 मीट्रिक टन के आसपास कोयला बचा है। सबसे कम स्टॉक अमरकंटक पॉवर प्लांट में 11500 मीट्रिक टन बचा है। इसी तरह सतपुड़ा पॉवर प्लांट में 21 हजार मीट्रिक टन स्टॉक है, जहां रोजाना खपत 6 से 7 हजार मीट्रिक टन है, जबकि आपूर्ति 4500 से 5500 मीट्रिक टन के आसपास रहता है।
लगातार घट रहा कोयला
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी में रोजाना खपत करीब 50 हजार मीट्रिक टन है, जबकि आपूर्ति 40 से 45 हजार मीट्रिक टन ही है. यही वजह है कि स्टॉक लगातार घट रहा है। दरअलस पॉवर प्लांट घोड़ाडोंगरी तहसील के सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी में 7 दिसंबर से अब तक कोयले की रैक नहीं आई है, जिसके चलते पूरी तरह से लोकल कोयले की आपूर्ति पर निर्भर है. बीरसिंहपुर पॉवर प्लांट में भी कोई खास स्टॉक नहीं बचा है, यहां 85 हजार मीट्रिक टन और सिंगाजी में 1 लाख 83 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा है।
बारिश ने दी राहत
जानकारी के तहत एमपी में 24 दिसंबर 2021 को सर्वाधिक बिजली की मांग दर्ज हुई थी, इस दिन 15 हजार 692 मेगावाट बिजली की डिमांड हुई थी, इसके बाद मौसम बदला और बारिश होने के चलते डिमांड घट गई. एक बार फिर 14 हजार मेगावाट के करीब बिजली की मांग पहुंचने से अनुमान लगाया जा रहा है कि जनवरी माह में नया रिकॉर्ड दर्ज हो सकता है। मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी में गहराते कोयला संकट पर जिम्मेदार कुछ भी बोलने को तैयार नही हैं। बहरहाल बिजली और कोयले को लेकर आने वाला वक्त में ही स्थित स्पष्ट होगी।