मध्यप्रदेश

सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश, 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जा सकता आरक्षण

Ankit Pandey | रीवा रियासत
6 May 2022 4:09 PM IST
Updated: 2022-05-06 10:40:18
सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश, 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जा सकता आरक्षण
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सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला भी उच्च न्यायालय (High Court) में विचाराधीन है।

Bhopal: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जा सकता। प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण की जो व्यवस्था लागू है उसमें यह अधिक हो रहा है। प्रदेश में 2011 क जनगणना के अनुसार 15.6 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 21.1 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या है। सूत्रों की माने तो जिला, जनपद और ग्राम पंचायत स्तर पर जनसंख्या आधार पर सीट आरक्षित की जाती है। पिछड़ा वर्ग को 25 प्रतिशत स्थान आरक्षित किए जाते थे। जिसे 27 प्रतिशत किया जा रहा है। इस प्रकार आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो रहा है।

सरकारी नौकरियों में आरक्षण का मामला कोर्ट में

सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला भी उच्च न्यायालय (High Court) में विचाराधीन है। पिछले दिनों ही सिविल सर्विसेस की परीक्षा (civil services exam) में 27 की जगह 14 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश दिया गया है।

धोखा दे रही सरकार

प्रदेश के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल (Kamleshwar Patel) ने कहा कि सरकार ओबीसी (OBC) को धोखा दे रही है। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के मतदाता की संख्या 48 प्रतिशत बताने का आधार स्पष्ट नहीं है। यदि सही तथ्यों के आधार पर पंचायत चुनाव में 35 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया गया होता तो कांग्रेस इसका स्वागत करती। लेकिन रिपोर्ट में ओबीसी की जनसंख्या जानबूझकर कम बताई गई है।

आरक्षण राजनीतिक मुद्दा

मप्र की सियासत में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरियों में 14 से 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था। इसे न्यायालय में चुनौती दी गई। यह लागू नहीं हो पाया। सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सरकार पे 24 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रति प्रतिबद्धता जताई और न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ताओं से पैरवी कराई। सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया। दरअसल प्रदेश के कई विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ा वर्ग निर्णायक की भूमिका में है। इसलिए भाजपा हो या कांग्रेस कोई भी इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहता। यही वजह है कि विधानसभा में सर्वसम्मति से ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत चुनाव कराने का संकल्प पारित किया गया था।

Ankit Pandey | रीवा रियासत

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