मध्यप्रदेश

एमपी में शराब से ज्यादा बीयर का क्रेज, गत वर्ष की तुलना में इस साल 50 प्रतिशत ज्यादा हुई खपत

Sanjay Patel
2 Feb 2023 2:44 PM IST
एमपी में शराब से ज्यादा बीयर का क्रेज, गत वर्ष की तुलना में इस साल 50 प्रतिशत ज्यादा हुई खपत
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मध्यप्रदेश में शराब से ज्यादा बीयर के शौकीन हैं। इसका पता इस बात से चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 50 प्रतिशत ज्यादा बीयर की खपत हुई।

मध्यप्रदेश में शराब से ज्यादा बीयर के शौकीन हैं। इसका पता इस बात से चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 50 प्रतिशत ज्यादा बीयर की खपत हुई। इसके साथ ही शराब की बिक्री में भी इजाफा दर्ज किया गया। प्रदेश में देशी-विदेशी शराब और बीयर की बिक्री में बढ़ोत्तरी होने से एक वर्ष में ही शराब से तकरीबन 860 करोड़ की कमाई की गई। इस वर्ष अब तक सरकारी खजाने में 10,380 करोड़ रुपए आ चुके हैं।

जबलपुर में बीयर के सर्वाधिक शौकीन

एमपी में चार महानगरों की बात की जाए तो जबलपुर में बीयर के सबसे ज्यादा शौकीन हैं। आंकड़े बताते हैं कि यहां 94 फीसदी से अधिक शौकीनों द्वारा बीयर का लुत्फ उठाया गया। जबकि देशी शराब 53 फीसदी व अंग्रेजी शराब की खपत 37 प्रतिशत रही। वहीं दूसरे नंबर पर इंदौर है। यहां 85 फीसदी से अधिक लोगों द्वारा बीयर का सेवन किया गया। जबकि देशी शराब 38 फीसदी और अंग्रेजी शराब की खपत 21 फीसदी रही। ग्वालियर में 76 फीसदी बीयर की खपत के साथ ही देशी शराब की 60 फीसदी और अंग्रेजी शराब की 22 फीसदी खपत रही। भोपाल में बीयर के सबसे कम शौकीन पाए गए। आंकड़ों पर गौर करें तो यहां केवल 14 फीसदी ही लोगों द्वारा बीयर का सेवन किया गया। जबकि देशी 16 फीसदी व अंग्रेजी शराब की खपत 23 प्रतिशत रही।

2020 के बाद यह रही पालिसी

प्रदेश में वर्ष 2020 के बाद शराब ठेकों की पालिसी के अनुसार दोबारा फुटकर समूह में टेंडर के साथ ही पहली बार 85 प्रतिशत खपत होना अनिवार्य है। इसके साथ ही कंपोजिट शराब दुकान जिसमें देशी दुकान में विदेशी और विदेशी दुकान देशी दोनों साथ-साथ बिकने लगी। इसके पूर्व वैट जोड़कर एमएसपी का निर्धारण होता था किंतु अब एमएसपी बनाकर वैट जोड़ा जाने लगा। शराब दुकानों की कंपोजिट पालिसी के चलते पहली बार समूह 60 प्रतिशत तक घट गए। वहीं नई नीति में भी 85 प्रतिशत शराब की खपत का नियम संभावित है। जिसमें वैट 10 प्रतिशत एमएसपी से जुड़ा रहेगा। एमआरपी और एमएसपी के बीच अंतर बढ़ेगा या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। नई नीति में ठेकेदारों का प्राफिट कैसे बढ़ेगा यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है।

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