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बाबा महाकाल नौ रूपों में देंगे दर्शन, 10 फरवरी से प्रारंभ होगी शिवनवरात्रि
उज्जैन महाकाल मंदिर में शिवनवरात्रि मनाए जाने की परंपरा है। 10 फरवरी से यह पर्व प्रारंभ होकर शिवरात्रि तक चलेगा। इस दौरान बाबा महाकाल के 9 दिनों तक अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन लोग प्राप्त कर सकेंगे। शिवनवरात्रि के अंतिम दिन शिवरात्रि पर बाबा महाकाल को सेहरा धारण कराया जाएगा। साल भर में केवल एक बार इसी दिन बाबा महाकाल को दोपहर के समय भस्म रमाई जाती है।
बाबा महाकाल का होगा मोहक श्रृंगार
शिवरात्रि का पर्व पूरे नौ दिनों तक श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में मनाया जाता है। शिवनवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी से की जाएगी। इस दौरान प्रतिदिन बाबा महाकाल का मोहक श्रंृगार अलग-अलग रूपों में किया जाएगा। इसके साथ ही पूजन, अभिषेक और अनुष्ठान का भी दौर चलेगा। महाकाल मंदिर समिति की मानें तो 10 फरवरी को सुबह नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन करने के बाद कोटितीर्थ कुंड के समीप श्री कोटेश्वर व रामेश्वर महादेव मंदिर में शिवपंचमी की पूजा के साथ शिवनवरात्रि की शुरुआत होगी। कोटेश्वर महादेव को चंदन तथा जलाधारी पर हल्दी अर्पित की जाएगी। यहां पूजन होने के बाद गर्भगृह में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक पूजन होगा। वहीं 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादशिनी रुद्र पाठ भी किया जाएगा।
बाबा महाकाल के इन स्वरूपों के होंगे दर्शन
बाबा महाकाल शिवनवरात्रि से शिवरात्रि तक अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे। पहले दिन भगवान महाकाल का चंदन से श्रृंगार किया जाएगा। जलाधारी पर अर्पित होगी। भगवान को सोला व दुपट्टा धारण कराया जाएगा। जबकि दूसरे दिन महाकाल का शेषनाग रूप में अद्भुत श्रृंगार किया जाएगा। तीसरे दिन घटाटोप श्रृंगार, चौथे दिन छबीना श्रृंगार के रूप में भगवान महाकाल नजर आएंगे। वहीं पांचवें दिन होलकर स्वरूप में श्रृंगार, छठवें दिन मनमहेश स्वरूप में श्रृंगार, सातवें दिन उमा-महेश स्वरूप में श्रृंगार, आठवें दिन शिव तांडव स्वरूप में श्रृंगार किया जाएगा। अंतिम दिन शिवरात्रि के अवसर पर बाबा महाकाल निराकार स्वरूप में भक्तों को नजर आएंगे।