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सीधी बस हादसे की बरसी: एक साल बाद भी ज़हन में गूंजती है हादसे के शिकार हुए 51 मृतकों की चीख
सीधी बस हादसे की बरसी: पिछले साल 16 फरवरी 2021 को मध्यप्रदेश के सीधी जिले में हुए उस भयावह बस हादसे को कोई कैसे भूल सकता है। उस काले दिन की कालीख ना सिर्फ सरकार और प्रशासन के लिए कभी न मिटने वाली दाग बन गई बल्कि उस भीषण हादसे में बच गए लोगों की ज़िन्दगी को अंधियारे से भर दिया। आज भी उस हादसे को याद करने पर आत्मा कांप उठती है, आज भी उस मनहूस दिन की यादें आंखों में पानी भर देती हैं, आज भी उस वीभत्स्य घटना के शिकार हुए 51 मृतकों की चींख-पुकार ज़हन में गूंजती हैं। आज सीधी जिले के पटना पुल में हुए गंभीर बस हादसे की बरसी है.
"16.2.2021 की सुबह का वक़्त था उस दिन बसंतपंचमी का त्यौहार भी था, सीधी बस स्टैंड से करीब 5 दर्जन यात्रियों को लेकर परिहार ट्रेवल्स की बस सतना के लिए रवाना हुई थी। उस बस में अपनी माँ के आंचल से लिपटे बच्चे, सफर का आनंद लेते राहगीर, हमेशा की तरह किसी काम से जाने वाले मुसाफिर, और नर्सिंग की परीक्षा देने जा रहे स्टूडेंट्स हाथ में किताब लिए पढ़ रहे थे। किसी को भी यह मालूम नहीं था कि उनकी ज़िन्दगी का यह सफर आखिरी सफर है"
"बस सतना के लिए रवाना हुई, और आगे चल कर रामपुर नैकिन से बघवार पहुंची। ड्राइवर को किसी ने बताया कि आगे छुहिया घाटी में जाम है, लिहाजा उसने बस की स्टेरिंग घुमाई और सतना जाने के लिए दूसरे रास्ते की तरफ बस मोड़ दी। बाणसागर नहर के सर्च मार्ग से बस अब सतना जा रही थी। सुबह के करीब 7:30 बज रहे थे, बस जैसे ही पटना पुल के पास पहुंची ड्राइवर ने बस से अपना नियंत्रण खो दिया और उसने बस से छलांग लगा दी इसी के साथ यात्रियों से भरी बस 30 फ़ीट गहरी बाणसागर नहर में समा गई।""नहर में लबालब पानी भरा हुआ था, बस में बैठे कई लोग सो रहे थे, बच्चे दुबक कर अपनी मां से लिपटे हुए थे, जो जाग रहे थे उन्होंने पहले ही अपनी मौत को साक्षात देख लिया था। बस पानी में डूब रही थी और अंदर फंसे लोग मदद के लिए चीख़ -पुकार रहे थे। डूबती हुई बस ने मदद मांगने वालों की आवाज को भी डूबा दिया था। बस में पानी भर जाने से कोई बाहर नहीं निकल पा रहा था। अपनी जान बचाने की कोशिश में लगे लोगों के फेफड़ों में पानी भर चुका था."
हर तरफ सिर्फ लाशें ही लाशें
बस को डूबते शारदा गांव के लोगों ने देख लिया था, सवारियों की चीख उनके कानों तक पहुंच रही थी। तभी गांव के कुछ लोगों ने डूबती बस में फंसे लोगों को बचाने के लिए नहर में छलांग लगा दी और एक-एक कर के दर्जनभर लोगों को मौत के गले से बाहर खींच लिया। इसके बाद प्रशासन ने बचाव के लिए NDRF की टीम भेजी लेकिन उस टीम के हाथ सिर्फ मरे हुए लोगों की लाशे लगी. देर हो चुकी थी, बहुत देर हो चुकी थी। एक-एक करके मृतकों को नहर से बाहर निकाला गया, रामपुर नैकिन सीएचसी में उन्हें एक कतार से रख दिया गया, हर तरफ सफ़ेद चादर ओढ़े लाशें ही लाशें नज़र आ रही थीं । जिसमे महिलाऐं, बुजुर्ग, जवान, और छोटे बच्चे भी शामिल थे. जिन्होंने ठीक से अपनी जिंदगी समझी भी नहीं थी उनकी ज़िन्दगी खत्म हो गई थी। आत्मा को झगझोर देने वाले इस मंजर ने पुलिस और डॉक्टर्स को भी रुला दिया था।
मरने वालों में कुछ तो ऐसे थे जिनका पूरा परिवार ख़त्म हो गया था, किसी का छोटा बच्चा मर गया था तो किसी के सिर से माता-पिता का साया हमेशा के लिए उठ चुका था। किसी के घर का चिराग बुझ गया तो किसी का सबकुछ लूट गया। जब मृतकों के पहचान वालों ने एक-एक कर उन लाशों के ढेर से अपने जानने वालों की पहचान कर रहे थे. तब शायद भगवान भी यह मार्मिक दृश्य देखकर रो रहा होगा
51 लोग इस दर्दनाक हादसे में मारे गए थे इस दर्दनाक बस हादसे ने 51 लोगों की जान लेली थी। जबकि सिर्फ 7 लोग ऐसे थे जो साक्षात यमदूतों के चंगुल बच गए थे। हादसे में बचकर निकले 62 साल के सुरेश गुप्ता अपनी बहु और पोते के साथ नागोद जा रहे थे सुरेश को ग्रामीणों ने बचा लिया लेकिन उनका लाडला पोता अथर्व और उसकी मां बस में ही फंसे रह गए. सुरेश को यह उम्मीद थी कि उनका पोता और बहु भी बच जायेंगे लेकिन नियति को यह मंजूर न था। ऐसे ही अन्य 6 लोगों की जान बची लेकिन उन्होंने भी अपनों को खो दिया। बस हादसे में मरने वालों में सबसे बुजर्ग हीरालाल शर्मा 60 साल के थे और सबसे कम उम्र का बच्चा अथर्व कुमार गुप्ता सिर्फ 2 साल का था, मरने वालों में सबसे ज़्यादा 12 से 32 साल की उम्र के लोग थे।
सीधी बस हादसे को बीते एक साल हो चला है, लेकिन इस रोंगटे खड़ी कर देने वाली घटना का जख्म आज भी हरा है.
RewaRiyasat.com घटना में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करता है और जिन्होंने अपनों को खोया है उन्हें होसला रखने की शक्ति देने ईश्वर से प्रार्थना करता है