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एमपी में 9वीं का छात्र बना एक दिन का कलेक्टर, खुद कलेक्टर ने कुर्सी पर बैठाया
कलेक्टर बनना हर युवा का सपना होता है। कुछ युवा इस सपने को पूरा करने का प्रयास करते हैं, कुछ कामयाब होते हैं तो कुछ नाकामयाब। सभी का यह सपना पूरा हो ऐसा कम ही देखने को मिलता है। इसी कड़ी में डिंडौरी में कक्षा 9 में अध्ययनरत छात्र रूद्रप्रताप को एक दिन का कलेक्टर बनने का मौका मिला। सोमवार को कलेक्टर विकास मिश्रा स्वयं छात्र रूद्रप्रताप को कलेक्टर की कुर्सी में बैठाए और कलेक्ट्रेट के विभिन्न विभागों में घुमाए।
क्यों हुआ ऐसा
बताया गया है कि शनिवार की सुबह डिंडौरी कलेक्टर धनुआ सागर मॉडल स्कूल पहुंचे थे। यहां कक्षा 9वीं में पढ़ने वाले छात्र रूद्रप्रताप झारिया से कलेक्टर ने वह मिले। कलेक्टर ने छात्र से उसकी इच्छा जिज्ञासा पूंछी। जिसके बाद रूद्रप्रताप ने कहा कि मेरा सपना कलेक्टर से मिलने का था, जो आज पूरा हो गया। मम्मी पापा चाहते हैं कि मैं कलेक्टर बनूं। मुझे अपने माता-पिता सपना पूरा करना है। जिसके बाद कलेक्टन ने रूद्रप्रताप को सोमवार के दिन कलेक्ट्रेट आने का न्योता दिया। उन्होने कहा कि मैं कलेक्ट्रेट की कुर्सी में बैठाऊंगा और कलेक्ट्रेट घुमाऊंगा।
कौन है छात्र रूद्रप्रताप
रूद्रप्रताप धनुआ सागर मॉडल स्कूल में पढ़ता है। उसके पिता अखिलेश झारिया सीएम राइज कन्या स्कूल में शाला शाहपुर में शिक्षक है। माता रामकुमारी झारिया गृहिणी है। रूद्र प्रताप के दो भाई और एक बहन है। पूरा परिवार अनुसूचित जाति छात्रावास क्रमांक 3 में रहता है।
बताया लोकतंत्र का अर्थ
विद्यालय पहुंचे कलेक्टर ने इस दौरान विद्यार्थियों को लोकतंत्र का अर्थ बताते हुए कहा कि पहले राजतंत्र था। राजतंत्र का अर्थ होता है राजा का बेटा राजा ही बनेगा, वही शासन करेगा। देश में लोकतंत्र है। इसका अर्थ होता है जनता अपने बीच से लोगो को चुनती है, जो उनके प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं।