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जानिए दिग्विजय सिंह ने ऐसा क्या कहा कि ज्योतिरादित्य ने जोड़ लिए हाँथ, कहा- सब आपका ही आशीर्वाद है... ठहाकों से गूँज उठा सदन
आज संसद में बजट सत्र का चौथा दिन है. विपक्षी पार्टियां किसान आंदोलन को लेकर लगातार सरकार को घेरने का प्रयास कर रही हैं. इस बीच सदन हंसी ठहाकों से गूंज उठा. दरअसल में आज पहले एक ही पार्टी का नेतृत्व करने वाले दो लोग दो अलग अलग पार्टियों की तरफ से सदन पर मौजूद हुए हैं. हम बात कर रहें हैं कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और भाजपा के ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में.
आज दोनों ही राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) सदन में मौजूद होकर एक दूसरे से ऐसे बात कर रहें हैं कि पूरा सदन हंसी ठहाके लगा रहा है.
मोदी सरकार की तरफ से बैटिंग कर रहें ज्योतिरादित्य
सदन में विपक्ष किसान मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेर रहा है तो मोदी सरकार की तरफ से ज्योतिरादित्य सिंधिया जमकर बैटिंग कर रहें हैं. इस दौरान उन्होंने अपने पुराने कांग्रेस के साथियों को भी बड़े गौर से सुना और बराबरी से जबाव भी दिया.
जब कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने कहा- 'सभापति महोदय! मैं आपके माध्यम से सिंधिया जी को बधाई देना चाहता हूं, जितने अच्छे ढंग से वे UPA सरकार में सरकार का पक्ष रखते थे उतने ही अच्छे ढंग से आज उन्होंने भाजपा का पक्ष रखा है. आपको बधाई हो, वाह जी महाराज वाह!'
दिग्विजय सिंह की इस बात को सुनकर ज्योतिरादित्य सिंधिया मुस्कुरा पड़ें, उन्होंने दिग्विजय के सामने सदन में हाँथ जोड़ लिए. फिर उन्होंने सदन में दिग्विजय से कहा कि 'सब आपका ही आशीर्वाद है'. इस बात को सुनकर सदन में मौजूद सभी लोग जोर जोर से हंसने लगें.
ज्योतिरादित्य की इस बात पर दिग्विजय भी मुस्कुरा दिया. उन्होंने ज्योतिरादित्य से कहा - 'हमेशा रहेगा, आप जिस पार्टी में रहें, आगे भी जो हो, हमारा आशीर्वाद आपके साथ था, है और रहेगा.'
इशारों इशारों में इमरजेंसी का जिक्र
सिंधिया ने अपने संबोधन के दौरान इशारों में इमर्जेंसी का जिक्र कर कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा, 'एक व्यक्ति के अनुरोध पर पूरी जनता ने स्वेच्छा से लॉकडाउन का पालन किया, वहीं 1975 में एक वह लॉकडाउन भी था, जो लोगों पर थोपा गया था. उस दौरान पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया था. यह बात जितना मैं यहां खड़ा होकर कहता था, उतना ही उतना ही वहां खड़ा होकर कहता था. सत्य आखिर सत्य ही होता है.'