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रीवा : ताक पर एम्बुलेंस सेवा के मापदंड़, परिवहन और स्वास्थ्य विभाग की जवाबदारी फिर भी बेपरवाह, लुट रहे मरीज, चलता है कमीशन का..
रीवा : ताक पर एम्बुलेंस सेवा के मापदंड़, परिवहन और स्वास्थ्य विभाग की जवाबदारी फिर भी बेपरवाह, लुट रहे मरीज, चलता है कमीशन का..
रीवा / Rewa News : गाडी में अगर लिखवा दिया गया है एम्बुलेंस तो वह एम्बुलेंस सेवा कहला जाती है। ऐसा हाल कहीं और नही मध्य प्रदेश के रीवा जिले में है। अपनी पहुंच के आधार पर एम्बुलेंस लिखे वाहन को अस्पताल के बाहर खड़ा कर दिया जाता। इसके बाद शुरू हो जाता रोगी तथा मृतक को ले जाने के नाम पर गोरखधंधा। इस गोरखधंधे में परिवहन तथा स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। तभी तो किसी के द्वारा कोई कार्रवई नहीं की जाती है।
किस पर है निगरानी की जवाबदारी
जानकारी के अनुसार एम्बुलेंस संचालन के लिए नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा कुछ मापदंड निर्धारित किया गया है। लेकिन यह नियम रीवा में एम्बुलेंस संचालकों पर लागू नहीं होता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि न तो परिवहन विभाग ध्यान देता है और न ही स्वास्थ्य विभाग। जब्कि एम्बुलेंस संचालित करवाने में दोनों ही विभागों की जवाबदेही नियमानुसार होती है।
क्या है नियम
स्वास्थ्य विभाग की माने तेा अगर किसी वाहन को एम्बुलेंस सेवा के लिए उपयोग में लाना है तो उसके लिए परिवहन विभाग में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। वही इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देनी होती है। स्वास्थ्य विभाग एम्बुलेंस का निरीक्षण करता है। जांच कर देखा जाता है कि यह सभी मापदंडों को पूरा करता है या नही। वहीं इन्ही दोनों विभागो केा एम्बुलेंस की समय-समय पर निगरानी की जानी चाहिए। वही किराया भी परिवहन विभाग को निर्धारित करने का अधिकार है।
प्रशिक्षित होने चाहिए कर्मचारी
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार एम्बुलेंस वाहनों में कार्य करने वाले ड्राइवर और सहयोगी प्रशिक्षित होने चाहिये। वाहन और कर्मचारी दोनों ही सफई का पालन करें। आक्सीजन सिलेंडर और फस्ट ऐड बाक्स होना अति आवश्यक है। वही वाहन में पर्याप्त जगह होनी चाहिए। बीपी चेक करने का यंत्र सहित ले जाने वाले रोगी की बीमारी के अनुसार दवाई और पैरा मेडिकल स्टाफ होना चाहिए।
रीवा में एम्बुलेंस सेवा का हाल
क्या आप बस या फिर रेलवे स्टेशन के आटो स्टैण्ड से कभी गुजरे हैं। अगर हां तो आपको रीवा की एम्बुलेंस सेवा समझने मेें परेशानी नही होगी। जिस तरह आटो चालक यात्री को वाहन में बैठाने के लिए छीनाझपटी शुरू कर देते है। ऐसा ही हाल जिले में संचालित संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय, गांधी मेमोरियल अस्पताल, सुपर स्पेस्लिटी अस्पताल तथा कुशाभाउ स्मृति जिला चिकित्साल के सामने खडे एम्बुलेंस चालकांे का है।
होता है मोलभाव
परिजन रोगी को दूसरे अस्पताल या फिर घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस के पास पहुंचते हैं। पूछते ही शुरू हो जाता है मोलभाव। वही कई अन्य एम्बुलेंस चालक उस व्यक्ति को पकड़ने का प्रयास करते हैं। कई बार तो एम्बुलेंस चालकों के बीच छीनाझपटी तक शुरू हो जाती है। हालत यह है कि एम्बुलेंस चालक मनमानी किराया वासूलने के लिए तरह-तरह के तर्क देते हैं।