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रीवा में आसान होती हत्या की वारदातें, खबर पढ़ रह जाएंगे दंग...
रीवा में आसान होती हत्या की वारदातें, खबर पढ़ रह जाएंगे दंग…
रीवा। एक समय था जब बिहार का नाम आपराधिक गतिविधियों के लिए देश में जाना जाता था। लेकिन वर्तमान में मध्यप्रदेश का रीवा जिला बिहार से भी आगे निकल चुका है। ऐसा कोई दिन नहीं गुजर रहा है जिस दिन कोई न कोई वारदात न हो। छोटी-छोटी बातों को लेकर हत्याएं की जा रही हैं।
इस दिशा में न सरकार कुछ बोल पा रही है, न जनप्रतिनिधि और न ही सामाजिक संगठन आगे आ रहे हैं। अभी दो-चार दिन के अंदर कई घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें पति और ससुर ने महिला पर चाकू से हमला कर घायल कर दिया जिसे गंभीर हालत में संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पिता ने पुत्र को मौत के घाट उतार दिया। एक अन्य घटना में पत्थर से हमला कर महिला की हत्या कर दी गई। ननिहाल घूमने आई युवती पर दिनदहाड़े कुल्हाड़ी से हमला कर मौत के घाट उतार दिया गया। सोनरा गांव में फैक्ट्री मैनेजर पर अपराधियों ने पिस्टल तान दी। हालांकि बीच-बचाव कर मामला शांत कराया गया। ऐसी ही अनेक वारदातें रीवा जिले में प्रतिदिन हो रहीं हैं। कानून और पुलिस का अपराधियों को तनिक भी डर नहीं है।
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क्यों नहीं चेत रही सरकार
जिले में प्रतिदिन कोई न कोई वारदात हो रही है। लोग अनायाश ही मौत के घाट उतारे जा रहे हैं। लेकिन प्रदेश सरकार के मुखिया अंजान हैं। यहां के जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे हुए हैं। आखिरकार इन वारदातों को रोकने कौन कार्रवाई करेगा। हम कब सोचेंगे, या तमाशबीन बने रहेंगे।
सामाजिक संगठन व आमजनों को आगे आना होगा
जिले में आपराधिक गतिविधियां बेकाबू होती जा रही हैं। इन्हें रोकने के लिए सामाजिक संगठनों एवं आमजनों को आगे आना होगा तभी अपराध रुक पाएगा। अपराध अकेले पुलिस प्रशासन नहीं रोक सकता, ऐसा महसूस होने लगा है। अपराध रोकने के लिए सामाजिक संगठन एवं आमजनों को आपसी मतभेद भुलाकर सबकी भलाई के लिए काम करना होगा अन्यथा एक न एक दिन हम सब अपराधियों के चंगुल फंस जाएंगे जहां से फिर निकलना मुश्किल हो जाएगा।
नेताओं को सरकार बनाने और गिराने की चिंता
नेताओं को आम जनता की भलाई और दुख-दर्द से कोई लेना देना नहीं है। उसे सिर्फ सरकार बनाने और गिराने की चिंता है। देश का धन सरकार बनाने और गिराने, नेताओं की सुख सुविधा में बर्बाद हो रहा है। चुनाव में सरकारी धन का दुरूपयोग हो रहा है, अगर इस पर रोक लग जाए तो देश की गरीबी अपने आप समाप्त हो जाएगी। कोई गरीब नहीं होगा। राजनीतिक लोगों के कारण ह अपराधी पनप रहे हैं और अपराध बढ़ रहा है।
यदि सब चेतें तो रुकेगा अपराध
आज हर कोई अपनी मर्जी से जीना चाहता है। वह किसी का हस्तक्षेप नहीं बर्दाश्त कर पा रहा है। हम बच्चों को जरूरत से ज्यादा आजादी दे रहे हैं। ज्यादा पैसे के आवेश में खुद और बच्चों को बहा रहे हैं। यदि अपराध रोकना है तो पहले हमें बच्चों की मनमर्जी, जरूरत से ज्यादा आजादी, छूट पर नकेल लगाना होगा। तभी अपराध पर नियंत्रण पाया जा सकेगा अन्यथा अपराध रोकना मात्र कल्पना तक सीमित रह जाएगा। कोई रोक नहीं पाएगा।
हम सबको अपराध रोकने के लिए अपने घर से आवश्यक कदम उठाने शुरू करने होंगे। हम सड़क में भाषण न दें, दूसरों को उपदेश न दें बल्कि अपने-अपने घर से कुछ छोटी-छोटी बातों पर नकेल लगाएं जो अपराध रोकने की दिशा में एक कील साबित हो सकता है।
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