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सिंगरौली: रेत खदान में ठेकेदारों को नही मिल रही राहत, पढ़िए जरूरी खबर
सिंगरौली: रेत खदान में ठेकेदारों को नही मिल रही राहत, पढ़िए जरूरी खबर
सिंगरौली। मध्यप्रदेश सबसे बड़ा रेत उत्पादन वाला राज्य है। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले में सबसे ज्यादा रेत उत्पाद होता है। उत्पादन वाला जिला होने के बाद भी जिले सहित प्रदेश के उपभोक्ताओं को कोई राहत नहीं मिल पा रही है। पहले खदानें बंद होने के नाम पर निर्माणकर्ताओं की जेब कट रही थी और अब 29 जिलों में 350 से ज्यादा रेत खदानें शुरू होने के बाद भी स्थिति बदलने की उम्मीद न के बराबर ही बनी हुई है। इसकी वजह है खपत से कम खनन होना।
प्रदेश में रेत खनन के ठेके होने के करीब दस माह बाद खदानों से रेत उत्खनन बामुश्किल शुरू हो पाया है। अभी भी प्रदेश में एक हजार से अधिक खदानों में उत्खनन शुरू होने का इंतजार है। दरअसल प्रदेश में 1400 मौजूद खदानों में से महज 350 खदानों में ही यह काम शुरू हुआ है , जिसकी वजह से 1050 खदानें अभी भी बंद पड़ी हुई हैं।
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अगर भोपाल की बात करें तो यहां हर दिन करीब एक हजार से 1200 डंपर रेत की जरूरत होती है, लेकिन वर्तमान में 500 डंपर की ही सप्लाई हो पा रही है। दरअसल पूर्व की कमलनाथ सरकार ने जिला स्तरीय क्लस्टर बनाकर खदानें नीलाम की थीं, जिनसे सरकार को करीब 1350 करोड़ रुपए के आय की उम्मीद थी, पर कानूनी दांव पेंच में उलझने की वजह से यह खादानें नीलामी के बाद भी शुरू नहीं हो सकीं थीं।
सूबे की सरकार बदलने के बाद तमाम प्रयासों के बाद जैसे-तैसे चंद खदानें चालू हुईं भी तो कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगने से एक बार फिर उत्खनन बंद हो गया। इसके बाद बारिश की वजह से काम पूरी तरह से बंद रखना पड़ा।
जिसकी वजह से अब जाकर उत्खनन शुरू हो रहा है। इसके बाद भी रेत के दामों में कमी आना संभव नहीं दिख रहा है। जानकारों की माने तो अभी तीन-चौथाई खदानें शुरू नहीं हुई है। ऐसे में दिक्कत होना तो तय है।
यह चल रहे हैं दाम
फिलहाल एक ट्रॉली (100 फीट) रेत राजधानी में 4500 से 4800 रुपए में मिल रही है। इतनी ही रेत डेढ़ माह पहले 5500 से 6000 रुपए में मिल रही थी। खनिज विकास निगम के अफसरों का दावा है कि रेत के दामों में कमी आई है और आने वाले दिनों में दाम और कम होगें। उनका तर्क है कि बारिश से पूर्व रेत का भंडारण कर बेंचते हैं जिससे वह मंहगी मिलती है , लेकिन बारिश बाद खदानें शुरू होने पर दामों में कमी आती है। अभी प्रति सौ फिट के दामों में एक से दो हजार रुपए की कमी आई है।
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