भोपाल

मध्यप्रदेश उपचुनाव सिंधिया के लिए अग्नि परीक्षा, पढ़िए पूरी खबर

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 12:04 PM IST
मध्यप्रदेश उपचुनाव सिंधिया के लिए अग्नि परीक्षा, पढ़िए पूरी खबर
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मध्यप्रदेश उपचुनाव सिंधिया के लिए अग्नि परीक्षा, पढ़िए पूरी खबर भोपाल कलमनाथ सरकार गिरने के बाद खाली हुई मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे हैं।

मध्यप्रदेश उपचुनाव सिंधिया के लिए अग्नि परीक्षा, पढ़िए पूरी खबर

भोपाल (विपिन तिवारी ) । कलमनाथ सरकार गिरने के बाद खाली हुई मध्यप्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे हैं। उपचुनाव में इस बार राजनीतिक दलों के साथ-साथ नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई है। मध्यप्रदेश में 10 नवंबर के बाद किसकी सरकार होगी इसको 28 सीटों पर आने वाले उपचुनाव के नतीजें बहुत कुछ तय करेंगे।

प्रदेश के संसदीय इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में हो रहे उपचुनाव में इस बार सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की प्रतिष्ठा तो दांव पर लगी हुई है लेकिन कांग्रेस छोड़ भाजपा नेता बने ज्योतिरादित्य सिंधिया की भविष्य की पूरी राजनीति को इन उपचुनाव के परिणाम तय करेंगे।

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मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर कर भाजपा की सरकार बनाने में मुख्य किरदार बने भाजपा सांसद बने ज्योतिरादित्य सिंधिया का आने वाले समय में भाजपा के अंदर में क्या कद होगा इसको भी बहुत कुछ उपचुनाव के नतीजें ही तय करेंगे।

उपचुनाव वाली 28 सीटों में से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल से आती है,जो ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता है। ऐसे में सिंधिया के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती के साथ अपनी लोकप्रियता के सहारे अपने साथ दलबदल कर आए नेताओं को फिर से विधानसभा पहुंचाना है।

ग्वालियर-चंबल और सिंधिया घराने की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर राकेश पाठक कहते हैं कि मध्यप्रदेश में हो रहे उपचुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक जीवन की अग्निपरीक्षा है। दलबदल करने के बाद उनके कंधों पर ही ग्वालियर चंबल के सभी 16 सीटों के साथ उनके कट्टर समर्थक तुलसी सिलावट की सांवेर सीट और गोविंद सिंह राजपूत की सुरखी सीट को जिताने का पूरी जिम्मेदारी है।

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इन सीटों को जिताकर ही सिंधिया भाजपा में अपने को सिद्ध कर पाएंगे अन्यथा आने वाले समय में उनकी राह बहुत कठिन हो जाएगी। सनद रहे कांग्रेस छोड़ कर आये 22 विधायकों को जीत कर विधानसभा पहुँचाना सिंधिया की जिम्मेदारी है। यह चुनाव सिंधिया के लिए अग्नि परीक्षा से कम नही है।

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