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मध्यप्रदेश में पहली बार जलाया गया 50 करोड़ रुपए का 62 हजार क्विंटल ड्रग्स
एमपी के नीमच जिले की एक सीमेंट फैक्ट्री में 50 करोड़ रुपए का ड्रग्स संभवतः पहली बार जलाया गया। इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से 200 पुलिसकर्मी तैनात रहे। 70 वाहनों के माध्यम से 62 हजार क्विंटल से अधिक डोडाचूरा, अफीम, गांजा, स्मैक, ब्राउन शुगन, हेरोइन, चरस, कोडीन, एमडीएमए और अल्फाझोलम यहां लाया गया। सीमेंट फैक्ट्री में 17 जुलाई को सुबह 11 बजे से ड्रग्स को खाक करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इस दौरान आईडी, डीआईजी और एसपी रैंक के अफसर सुबह से देर रात तक डटे रहे।
अफीम की होती है खेती
मध्यप्रदेश के नीमच जिले में अफीम की खेती की जाती हैं यही वजह है कि यहां से काफी मात्रा में अवैध डोडाचूरा की सप्लाई होती है। जिसको जांच के दौरान पुलिस द्वारा जब्त किया जाता है। कोर्ट में जब तक इसका मामला चलता है यह अवैध मादक पदार्थ मालखाने में जमा रहता है। इसके बाद इनको नीमच लाया जाता हैं जहां तय प्रावधानों के तहत नष्ट किया जाता है। ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है जब इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स को नष्ट करने की कार्रवाई की गई। बीते 15 वर्षों में प्रदेश के विभिन्न थाना पुलिस ने डग्स को जब्त कर मालखाने में जमा कराया था। नीमच में 575 प्रकरणों में 63 हजार क्विंटल से अधिक ड्रग्स को नष्ट किया गया।
भारी संख्या में पुलिस बल रहा तैनात
नीमच की जवाद तहसील अंतर्गत विक्रम सीमेंट फैक्ट्री प्लांट आती है जहां ड्रग्स को नष्ट करने की कार्रवाई की गई। पुलिस द्वारा सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुख्ता प्रबंध किए गए थे। यहां 200 से अधिक पुलिस के अधिकारी, कर्मचारी मुस्तैद थे। नष्ट करने के लिए सीमेंट फैक्ट्री चुनने की पीछे की वजह यह है कि एनडीपीएस एक्ट में प्रदूषण मानकों का भी ध्यान रखने का प्रावधान है। नष्टीकरण की प्रक्रिया में ऐसे मादक पदार्थ जिनसे मार्फिन प्राप्त की जा सकती है उन्हें नीमच स्थित केन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की अलकोलाइट फैक्ट्री में जमा किया जाएगा। जिसका उपयोग मेडिसिन बनाने में किया जाएगा। नष्टीकरण की प्रक्रिया में उज्जैन संभाग के सभी जिलों के साथ ही इंदौर-भोपाल संभाग के लगभग 15 से 16 जिलों के मादक पदार्थ नष्ट किए गए। पूरी प्रक्रिया उज्जैन रेंज के आईजी संतोष कुमार के निर्देशन में की गई।
मादक पदार्थ नष्ट करने की प्रक्रिया
एनडीपीएस एक्ट के तहत मादक पदार्थों को नष्ट करने के प्रावधान किए गए हैं। भारत सरकार के वर्ष 2022 के गजट नोटिफिकेशन के अनुसार न्यायालय में जिन प्रकरणों का निराकरण हो चुका है अथवा जिन मादक पदार्थों को नष्ट करना आवश्यक हो उनको नष्ट करने का विधिवत प्रावधान है। जिसके लिए डीआईजी रैंक के एक अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाता है। जिसमें 2 एसपी रैंक के अधिकारी सदस्य के रूप में होते हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और प्रदूषण बोर्ड के सभी सदस्यों की मौजूदगी में यह प्रक्रिया की जाती है।
इनका कहना है
इस संबंध में रतलाम रेंज के डीआईजी मनोज कुमार सिंह के मुताबिक मादक पदार्थ को नष्ट करने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी गई। इसका वीडियो रिकार्डिंग भी किया गया। समाज को नशामुक्त करने के लिए 75 दिन का एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिसके चलते नीमच की खोर सीमेंट फैक्ट्री में जब्त किए गए ड्रग्स का नष्टीकरण किया गया। यह प्रक्रिया सुबह 11 बजे से शुरू होकर देर रात तक चली।