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Navratri 2023: एमपी में है भद्रकाली माता का 500 वर्ष पुराना मंदिर, दिन भर में 3 बार मूर्तियां बदलती हैं अपना स्वरूप
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मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में 500 वर्ष पुराना भद्रकाली माता का मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां दिन भर में माता अपना स्वरूप बार बदलती हैं। जिससे यहां पहुंचने वाले भक्तों को माता के तीन स्वरूपों के दर्शन होते हैं। यह मंदिर झाबुआ जिले के पेटलावद-रायपुरिया के बीच स्थित है। मां भद्रकाली के इस प्राचीन मंदिर में जो दो मूर्तिया हैं उनको चमत्कारी बताया जाता है।
मातारानी के 3 स्वरूपों के होते हैं दर्शन
झाबुआ जिले के पेटलावद-रायपुर के बीच मां भद्रकाली माताजी का मंदिर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि दिन भर में माताजी की यह मूर्तियां तीन बार अपना स्वरूप् बदलती हैं। जिससे लोगों को उनके 3 स्वरूपों के दर्शन मिलते हैं। बताया गया है कि सुबह से 12 बजे तक मां बाल अवस्था, दोपहर को युवा और शाम 6 बजे से अगले दिन सूर्योदय तक वृद्ध रूप धारण कर दर्शन देती हैं। इस बदलाव को केवल सच्चे भक्त ही अनुभव कर सकते हैं।
वर्षों पुराना है मंदिर
बताया जाता है कि यह मंदिर तकरीबन 500 साल पुराना है। तब से आज तक केवल दो बार ही मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ है। पहली बार 1372 ईस्वी में राजस्थान से आए भटेवरा समाज और दूसरी बार नगर के राजपरिवार द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया है। इस मंदिर के पीछे भी एक कहानी प्रचलित है। कहते हैं कि पंपापुर सरोवर किनारे भीम की पत्नी हड़प्पा ने नरबलि रोकने के लिए माताजी को प्रसन्न किया था। क्योंकि घटोत्कच्छ भीम की बलि चढ़ाना चाहता था। जिसके कारण मंदिर के समीप बहने वाली नदी का नाम पंपावती पड़ा।
पहाड़ी पर विराजमान हैं माता
भद्रकाली माता का यह मंदिर पेटलावद नगर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहाड़ी पर माता विराजमान हैं। सामने से गहरी खाई में पंपावती नदी भी बहती है जिससे मंदिर की सुंदरता को चार चांद लग जाते हैं। किंतु इसके विकास के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बनाई जा सकी है। रायपुरिया क्षेत्र के ग्रामीणों और अन्य लोगों के सहयोग लेकर मंदिर जीर्णोद्धार को लेकर प्रयास कर रहे हैं।
भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण
नवरात्रि में यहां हजारों की संख्या भक्त सुबह से शाम तक पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन माताजी का विशेष श्रृंगार व पूजा अर्चना प्रारंभ हो गई है। यह पूरे नौ दिनों तक जारी रहती है। रायपुरिया-पेटलावद के मुख्य मार्ग पर होने से यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां आसपास के ही नहीं बल्कि दूर-दूर से भी श्रद्धालु माता के दरबार में अपना मत्था टेकने के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं के बीच माता के तीन स्वरूप के दर्शन करने की लाहसा रहती है, तो वह तीनों पहर रुककर माता के दर्शन कर मन्नत मांगते हैं। भक्तों के अनुसार माता की महिला निराली है। सच्चे मन से की गई भक्तों की हर मनोकामनाएं यहां पूर्ण होती हैं।
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