- Home
- /
- मध्यप्रदेश
- /
- Shivraj मंत्रिमंडल गठन...
Shivraj मंत्रिमंडल गठन को मिली हरी झंडी, ये बड़े नेता पहुंचे Bhopal..
Shivraj मंत्रिमंडल गठन को मिली हरी झंडी, ये बड़े नेता पहुंचे Bhopal..
भोपाल (Bhopal). मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की टीम 20 अप्रेल के आस-पास शपथ ले सकती है। सूत्रों के मुताबिक शिवराज फिलहाल अपनी टीम में 10 से 12 चेहरों को शामिल करेंगे। ऐसे में भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जातिगत, क्षेत्रीय और दिग्गज समर्थकों का संतुलन साधना है। इसे लेकर गुरुवार को माथापच्ची चलती रही।
REWA: जाते-जाते 1.68 करोड़ रूपए का चूना लगा गए तत्कालीन निगमायुक्त सभाजीत यादव
मंत्रिमंडल गठन को लेकर सीएम ने गुरुवार को केंद्रीय नेतृत्व से फोन पर चर्चा की। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों में से कौन और कितने सदस्य मंत्रिमंडल में शामिल होंगे, इसका निर्णय केंद्रीय नेतृत्व करेगा। उधर, मंत्रिमंडल गठन की सुगबुगाहट के बीच कई नेता भोपाल (Bhopal) पहुंच चुके हैं। इसमें गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, संजय पाठक और राजेंद्र शुक्ला शामिल हैं।
REWA में मानो LOCKDOWN खत्म हो गया, कुछ ऐसा था नजारा
- जातिगत समीकरण का संकट
कम लोगों को मंत्री बनाने के कारण जातिगत समीकरण साधना बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि उनके मंत्रिमंडल में हर वर्ग का प्रतिनिधित्व हो, लेकिन कई दिग्गज दावेदारों को जातिगत समीकरण के चक्कर में घर बैठाना भी असंतोष का कारण बन सकता है।
LOCKDOWN: पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की लगातार कर रहें हैं मदद
- चार ब्राह्मण तगड़े दावेदार
शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए चार ब्राह्मण विधायक तगड़े दावेदार हैं। इसमें गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, राजेंद्र शुक्ला और संजय पाठक के नाम शामिल हैं। भार्गव ने नेता प्रतिपक्ष रहते अहम भूमिका निभाई है तो नरोत्तम और पाठक ऑपेरशन लोटस के बड़े किरदार रहे हैं।
- क्षत्रीय की भी कतार
अरविंद भदौरिया, गोविंद राजपूत और रामपाल सिंह क्षत्रिय समाज के बड़े दावेदार हैं। यहा भी कोई सिंधिया कैंप से है तो कोई शिवराज का करीबी है। ऐसे में यहां भी चयन चुनौती बन गया है।
मध्यप्रदेश के रीवा में स्थित है दुनिया का एक मात्र ‘महामृत्युंजय मंदिर’, जहां होती है ‘अकाल मृत्यु’ से रक्षा
- अजा-जजा का दबाव
अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग को भी ध्यान में रखना होगा। सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी और इमरती देवी अनुसूचित जाति से तो बिसाहूलाल सिंह अनुसूचित जनजाति से दावेदार हैं। अगर इन चारों को ही मंत्री बनाया जाता है तो भाजपा के दिग्गज जगदीश देवड़ा, मीना ङ्क्षसह, कुंवर विजय शाह, गोपीलाल जाटव, महेंद्र हार्डिया जैसे बड़े दावेदारों का क्या होगा।
- क्षेत्रीय संतुलन बैठाना भी चुनौती
बुंदेलखंड में एक ही जिले सागर से तीन बड़े दावेदार कतार में हैं तो मालवा से भी दावेदारों की कतार है। ऐसे में पार्टी को महाकौशल, विंध्य, ग्वालियर-चंबल अंचल से कम लोगों को मौका मिलने पर असंतोष उभ सकता है।
- दिग्गजों से हो रही चर्चा
मुख्यमंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती यह भी है कि उन्हें भाजपा के कुछ बड़े नेताओं के समर्थकों का भी ध्यान रखना है। ग्वालियर-चंबल में जहां केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के दावेदार हैं तो मालवा में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय मंत्री थावरंचद गहलोत के दावेदारों की लाइन है।