मऊगंज

मऊगंज में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर नौनिहाल: दानवीर ने 53 साल पहले स्कूल के लिए जमीन दी, अब तक नहीं बन सका विद्या भवन

मऊगंज में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर नौनिहाल: दानवीर ने 53 साल पहले स्कूल के लिए जमीन दी, अब तक नहीं बन सका विद्या भवन
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मऊगंज जिले के ग्राम घुरेहटा में एक प्राथमिक विद्यालय के छात्र खुले आसमान के नीचे, पेड़ों की छाया में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।=-

मऊगंज: एक ओर सरकार 'स्कूल चलो अभियान' के तहत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर मऊगंज जिले के ग्राम घुरेहटा में एक प्राथमिक विद्यालय के छात्र खुले आसमान के नीचे, पेड़ों की छाया में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

यह विद्यालय 1971 में दान में मिली जमीन पर संचालित हो रहा है, लेकिन 53 साल बीत जाने के बाद भी यहां भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। विडंबना यह है कि मऊगंज जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर स्थित नगर परिषद के वार्ड 14 घुरेहटा में यह स्कूल संचालित हो रहा है। बारिश के मौसम में तो स्कूल बंद भी करना पड़ता है।

दान में मिली जमीन, विद्या भवन नहीं बन सका

सन 1971 में स्थानीय निवासी शंभू प्रसाद मिश्र ने ध्वजाराम प्राथमिक विद्यालय घुरेहटा के भवन निर्माण के लिए 5 डिसमिल जमीन दान में दी थी। जमीन मिलने के बाद से ही विद्यालय भवन निर्माण की कवायद चल रही है, लेकिन आज तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है। मिश्र परिवार ने कई बार तहसील कार्यालय के चक्कर लगाए, लेकिन जमीन को शासकीय दस्तावेजों में दर्ज नहीं कराया जा सका।

न निरीक्षण न बना दानपत्र

जमीनदाता के वंशज श्रीनिवास मिश्र ने बताया कि 2016 के पहले यह स्कूल कच्चे भवन में लगता था। लेकिन इसके बाद भवन गिर गया और विद्यालय पेड़ के नीचे लगाया जा रहा है। मिश्र बताते हैं कि तहसील कार्यालय और नगर परिषद में इसकी सूचना दी थी। लेकिन तहसील कार्यालय से आज तक जमीन के संबंध में निरीक्षण नहीं किया गया और न ही दानपत्र तैयार कराया जा सका।

जनसुनवाई में कलेक्टर को भी दी जानकारी

जनसुनवाई के दौरान जमीनदाता के परिजनों ने कलेक्टर अजय श्रीवास्तव को भी ज्ञापन देकर विद्यालय की जमीन शासकीय दस्तावेजों में दर्ज कराने की मांग रखी थी। जिससे बच्चों के पढऩे के लिए भवन का निर्माण किया जा सके। लेकिन कलेक्टर द्वारा भी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिहाजा बरसात में भी घुरेहटा का स्कूल पेड़ के नीचे चल रहा है।

अभिभावकों और ग्रामीणों में रोष

इस स्थिति से ग्रामीणों और अभिभावकों में रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि बारिश के मौसम में बच्चों को पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ता है। कई बार शिकायतें करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।

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