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मऊगंज में मंदिर से अतिक्रमण हटाने पर बवाल: दो पक्ष भिड़े, पथराव; JCB लेकर पहुंचे भाजपा विधायक नजरबंद
रीवा. मऊगंज जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित देवरा के महादेवन मंदिर की 9 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण को लेकर तनाव बढ़ गया है। अतिक्रमण हटाने के लिए प्रशासन की ओर से की जा रही कार्रवाई उस समय विवाद का कारण बन गई, जब स्थानीय भाजपा विधायक प्रदीप पटेल मौके पर पहुंचे।
मऊगंज विधायक ने प्रशासन को जल्द कार्रवाई का अल्टीमेटम दिया और खुद JCB मंगवाकर अतिक्रमित दीवार हटवाने की पहल की। इस दौरान दोनों पक्षों में बढ़ते तनाव ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें पथराव की घटनाएं हुईं। घटना में दोनों पक्षों के आठ से दस लोग घायल हुए, जिन्हें अस्पताल भेजा गया।
स्थिति बिगड़ते देख, कलेक्टर और एसपी भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। हालात नियंत्रण से बाहर होने पर प्रशासन को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। विधायक प्रदीप पटेल को नजरबंद कर स्थिति पर काबू पाने का प्रयास किया गया, साथ ही क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई। मंदिर की जमीन पर बने मकानों को हटाने को लेकर विवाद चल रहा है, जो कोर्ट में लंबित है। विधायक पटेल ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि 4 महीने के आश्वासन के बावजूद भी अतिक्रमण नहीं हटाया गया, जिससे लोगों में असंतोष है।
उपद्रवियों की तलाश
घटना की जानकारी मिलने पर आईजी महेन्द्र सिंह सिकरवार सहित अन्य पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। कलेक्टर, एसपी से जानकारी लेने के बाद उन्होंने विवाद की वजह जानी और जहां पर उपद्रव हुआ उस स्थान का भी निरीक्षण किया। इसके बाद उपद्रवियों की तलाश शुरू हुई। दोनों पक्षों से करीब 30 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कुछ घटना स्थल पर ही मौजूद पाए गए और कुछ को बाजार क्षेत्र से पकड़ा गया है। वहीं कइयों की पहचान के बाद उनके घरों से उठाया गया है। देर रात तक अधिकारियों ने पूरे मामले के निराकरण को लेकर बैठकें की।
होती रही नारेबाजी
दोपहर से ही स्थिति तनावपूर्ण हो रही थी। बीच में अतिक्रमण वाली दीवार है और एक पक्ष से जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे जगाए जा रहे थे। दूसरी ओर से अल्ला हो अकबर के नारे लगाए जा रहे थे।
आगजनी की, आंसू गैस के गोले छोड़े
मंदिर परिसर की भूमि में अतिक्रमण कर बनाई गई दीवार को विधायक के कहने पर जब कुछ लोगों ने स्वयं हटाना शुरू किया, तब दूसरे पक्ष के लोगों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इससे कई लोग चोटिल भी हो गए। पत्थरबाजी के विरोध में प्रदर्शन करने वालों ने कुछ स्थानों पर आगजनी भी कर दी। इसकी वजह से बवाल मच गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।
बाहर से आने वाले लोगों को रोका
विवाद की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए जैसे ही फैली, दोनों पक्षों से जुड़े लोग देवरा महादेवन गांव पहुंचने लगे। लगातार गांव में बाहर से आ रहे वाहनों को पुलिस ने रोक दिया और बाहर से आने वाले लोगों की तस्दीक के बाद ही गांव में प्रवेश दिया जा रहा है। गांव में पुलिस बल तैनात किया गया है। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित होने के बाद ही पुलिस यहां से हटाई जाएगी।
कोर्ट में लंबित मामला
महादेवन मंदिर की 9 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण को लेकर विवाद पहले से ही कोर्ट में विचाराधीन है। यहां बने मकान और दीवार मंदिर की सीमा से सटी हुई है, जिसे हटाने की मांग स्थानीय लोग कर रहे हैं। प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, लेकिन मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने से प्रक्रिया धीमी है।
लंबा इंतजार और बढ़ता आक्रोश
मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल का कहना है कि प्रशासन ने दो महीने के भीतर अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस देरी से लोग नाराज हैं। दूसरे पक्ष पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वह लोग भारत विरोधी नारे भी लगा रहे हैं, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अतिक्रमण हटाने की इस प्रक्रिया में हुए पथराव से कई लोग घायल हुए हैं।
हाईकोर्ट में सुनवाई आज
देवरा के महादेवन मंदिर की करीब 9 एकड़ भूमि है। इसके बड़े हिस्से में दूसरे समुदाय के लोगों ने अतिक्रमण कर मकान बना रखा है। मंदिर के पास से ही दीवार खड़ी कर ली है। इसे हटाने की मांग को लेकर हिन्दूवादी संगठन के संतोष तिवारी सहित कई लोग मंदिर परिसर में धरना दे रहे थे। मंगलवार को विवाद उस समय बढ़ा जब संतोष ने खुद गैती लेकर दीवार को तोड़ने का काम शुरू कर दिया। दूसरे पक्ष के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे और पत्थरबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने मामले को शांत कराया। इसी बीच विधायक प्रदीप पटेल भी पहुंच गए और कहा कि प्रशासन अतिक्रमणकारियों से मिला है। इसलिए खुद हटाओ। मौके पर जेसीबी बुलाई और दीवार तोडऩे की शुरुआत हुई। उसी दौरान दूसरे पक्ष ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। बढ़ते बवाल को देखते हुए विधायक को गिरफ्तार कर वहां से हटाया गया। इसे लेकर कुछ महीने पहले भी धरना दिया गया था। इस पर एसडीएम ने अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। इस आदेश के विरोध में दूसरा पक्ष हाईकोर्ट चला गया है। वहां 20 नवंबर को सुनवाई है। इस वजह से प्रशासन कार्रवाई से पीछे हट रहा है।