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मऊगंज जिले में पेड़ के नीचे संचालित हो रही प्राथमिक पाठशाला, कैसे संवरेगा नौनिहालों का भविष्य
मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले में प्राथमिक पाठशाला का संचालन पेड़ के नीचे किया जा रहा है। खुले आसमान के नीचे नौनिहाल अपनी पढ़ाई करने को विवश हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनका भविष्य कैसे संवर पाएगा। बताया गया है कि विगत पांच वर्षों से शाला का इसी तरह संचालित की जा रही है किंतु अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।
ध्वजराम घुरेहटा पाठशाला का है मामला
मामला मऊगंज के नगर परिषद वार्ड क्रमांक 11 अंतर्गत प्राथमिक पाठशाला ध्वजराम घुरेहटा का है। यहां विगत पांच वर्षों से प्राथमिक पाठशाला पेड़ के नीचे चल रही है। ग्रामीणों की मानें तो इस संबंध में कई बार शिक्षा विभाग को सूचित भी किया गया किंतु व्यवस्था अभी भी जस की तस बनी हुई है। शिक्षा को ऊंचाइयों तक ले जाने वाली प्राथमिक व्यवस्था ही अधूरी है। जहां नौनिहालों को अभी तक शिक्षा के संबंध में क, ख, ग, घ तक नहीं मालूम, पेड़ के नीचे प्राथमिक पाठशाला संचालित होना दुर्भाग्य कहें या इसे विवशता कहा जाए।
बच्चों का भविष्य हो रहा चौपट
स्थानीय लोगों इस संबंध में वर्तमान प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से अपेक्षा की है कि मऊगंज मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित ध्वजराम घुरेहटा प्राथमिक पाठशाला पेड़ के नीचे संचालित हो रही है, जिसको भवन उपलब्ध करवाया जाए। ठंडी, गर्मी, बरसात में भी यह पाठशाला पेड़ के नीचे ही संचालित होती है। बताया गया है कि इस स्कूल में 30 से 40 बच्चों का दाखिला है किन्तु भवन विहीन होने के कारण महज 5 से 8 बच्चे ही स्कूल पहुंचते हैं। बच्चों को यह भी नहीं पता कि दुनिया चांद पर है या चांद जमीं पर। ऐसे में इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य चौपट होता जा रहा है।
व्यवस्थाएं चिढ़ा रही मुंह
आज के इस दौर में भी जहां तकनीकी, स्वास्थ्य, शिक्षा, वैज्ञानिक अन्य पद्धतियों से दुनिया कहां से कहां पहुंच गई। हम चांद में भी पहुंच गए किंतु धरातल अभी भी आधारहीन है। मूलभूत सुविधाओं से क्षेत्र की जनता 75 फीसदी दूर है वह चाहे शिक्षा का ही मामला क्यों न हो। भले ही मऊगंज जिला बना हो पर व्यवस्थाएं अभी भी मुंह चिढ़ाती हुई नजर आ रही हैं।
इनका कहना है
मऊगंज के पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष अजय मिश्रा का कहना है कि प्राथमिक शिक्षकों द्वारा भवन के लिए नियमित प्रयास किया जा रहा है, किंतु जिला स्तर के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। यह विद्यालय नगर परिषद अंतर्गत आता है। जबकि इस संबंध में प्राथमिक पाठशाला घुरेहटा के शिक्षक का कहना है कि कई बार पत्राचार किया गया। भवन के लिए पूर्व व वर्तमान बीआरसीसी को पत्र दिया गया किंतु कोई जवाब नहीं मिला और न ही शाला के लिए भवन ही स्वीकृत हो सका। ऐसे में बच्चों का भविष्य ठीक नहीं है।