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यंग IAS अफसर Sonia Meena के मऊगंज कलेक्टर बनने की खबर से खौफ में आए माफिया और उनके आका! 4 घंटे में आदेश निरस्त...
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत IAS अजय श्रीवास्तव को मऊगंज का कलेक्टर बनाया गया है, जबकि IAS सोनिया मीणा के पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया गया.
मध्यप्रदेश के 53वें जिले 'मऊगंज' का गठन मप्र भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन 1959) की धारा 13 की उपधारा के तहत किया गया है. इस बदलाव के संबंध में एक राजपत्र (गजट) प्रकाशित किया गया है. नवगठित जिले के लिए कलेक्टर का एक पद, अपर कलेक्टर का एक पद और संयुक्त कलेक्टर व डिप्टी कलेक्टर के पांच पदों की मंजूरी शासन द्वारा दी गई है. रविवार, 13 अगस्त को मऊगंज के लिए कलेक्टर के तौर पर IAS सोनिया मीणा और पुलिस अधीक्षक (SP) के पद के लिए IPS वीरेंद्र जैन की पदस्थापना का आदेश सामान्य प्रशासन विभाग एवं गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया गया. लेकिन कलेक्टर की पदस्थापना का आदेश महज 4 घंटे में बदल दिया गया. नए (संशोधित) आदेश के तहत IAS अजय श्रीवास्तव को मऊगंज का कलेक्टर बनाया गया है, जबकि IAS सोनिया मीणा के पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया गया.
सोनिया मीणा (IAS SONIA MEENA) 2013 बैच की यंग IAS अफसर हैं (पढ़ें - कौन हैं दबंग IAS सोनिया मीणा). मध्यप्रदेश के कई जिलों में अपनी सेवाएं दे चुकी सोनिया मीणा वर्तमान में भोपाल में आदिमजाति क्षेत्रीय विकास योजना की संचालक हैं. पूर्व में वे अनूपपुर में बतौर कलेक्टर सेवाएं दे चुकी हैं. सामान्य प्रशासन विभाग ने 13 अगस्त को सोनिया मीणा को नवगठित जिले मऊगंज का कलेक्टर बनाए जाने का आदेश जारी किया. इसके बाद सरकार तक यह खबर पहुंची और कुछ घंटों में आदेश निरस्त कर दिया गया और 2013 बैच के ही आदिमजाति क्षेत्रीय विकास योजना के संचालक अजय श्रीवास्तव को नए जिले की कमान सौंप दी गई.
सोनिया मीणा के कार्यशैली से हर कोई वाकिफ है. लिहाजा मऊगंज वासी अपने नए जिले के गठन और इसके लिए ऐसा कलेक्टर पाकर सोशल मीडिया में खुशी जता रहें थें. लेकिन मऊगंज की जनता को उस वक्त झटका लगा जब सोनिया मीणा को मऊगंज कलेक्टर बनाए जाने का आदेश देर रात 10.15 बजे निरस्त कर दिया गया. अब हर किसी के जहन में सवाल उठ रहा है कि ऐसा हुआ क्यों?
दरअसल, इसके पीछे बड़ी राजनीतिक वजह है. आईएएस सोनिया मीणा जिन जिन जिलों में पदस्थ रहीं वहां के खनन माफियाओं को उन्होंने उखाड़ फेंका. हालात ऐसे हैं कि खनन माफिया महज उनके नाम से कांप उठते हैं. 2017 में छतरपुर जिले के राजनगर में एसडीएम रहते हुए खनन माफिया अर्जुन सिंह पर कार्रवाई करके चर्चा में आई थी. इस कार्रवाई के बाद उन्हे काफी धमकियां मिली थी, लेकिन वे न झुकी और न रुकी. उनकी कार्यशैली हर जगह वैसी ही रही. बस इसी कार्यशैली की वजह से वे ज्यादा समय तक एक जगह नहीं टिक पाती हैं. क्योंकि ऐसे माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिला होता है और इन पर वार करने का मतलब उनके संरक्षकों को नाराज करना होता है.
खनन माफियाओं के आकाओं ने कैंसिल कराया आर्डर
नवगठित जिले मऊगंज के एमपी-यूपी बॉर्डर हनुमना और नईगढ़ी में भी ऐसे ही माफियाओं का दबदबा है. उन्हें जैसे ही पता चला कि सोनिया मीणा को मऊगंज का कलेक्टर बनाया गया है, उन्होंने अपने आकाओं को फोन तड़तड़ाना शुरू कर दिया. आकाओं को भी यह पदस्थापना नागवार गुजरी, तो उन्होंने फूलती हुई सांस के साथ भोपाल फोन मिलाया और जातिगत समीकरण का हवाला देते हुए सोनिया मीणा के लिए जारी आर्डर कैंसिल करा दिया. सोनिया मीणा के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.