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पाकिस्तान से लाई गई गीता को 5 वर्ष बाद मिली उसकी मां, दोनों के छलक पड़े आसू
महाराष्ट्र। पाकिस्तान से 5 वर्ष पूर्व भारत लाई गई दिव्यांग गीता को आखिर कार उसकी मां मिल गई है। मीडिया खबरों के तहत महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के वाजुल में रहने वाली मीना पांद्रे ने गीता को अपनी बेटी बताया है। मां के मुताबिक गीता का असली नाम राधा वाघमारे है। गीता के पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। मां ने दूसरी शादी कर ली है।
जले हुये निशान से पहचान
गीता से मिलने के लिये मीना पांद्रे अपने परिवार के साथ गुरुवार को पहुची। उन्होने बताया कि उनकी बेटी के पेट पर जले का निशाना था। गीता के पेट पर भी जले का निशान मिला है। दोनो का टेस्ट करवाया जायेगा और टेस्ट रिर्पोट मिलना होने के बाद तथा अन्य कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद ही गीता को सौंपा जाएगा।
5 वर्ष पूर्व सुषमा स्वराज लाई थी भारत
तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहल पर गीता को पाकिस्तान से भारत 26 अक्टूबर 2015 को लाया गया था। उसे इंदौर की मूक-बधिरों की संस्था में रखा गया था। गीता न बोल सकती हैं और सुन पाती हैं। वह पढ़ी लिखी भी नहीं थीं। ऐसे में उनसे उनकी जानकारी निकलवा पाना मुश्किल था।
दरअसल गीता पाकिस्तान में एक रेलवे स्टेशन पर 11-12 साल की उम्र में मिली थी। पाकिस्तान के ईधी वेलफेयर ट्रस्ट ने उन्हें अपने पास रखा था।
मराठवाड़ा से मिलते थें गीता के इशारे
इंदौर के आनंद सर्विस सोसाइटी के ज्ञान पुरोहित के मुताबिक गीता अपनी मां से मिलने पहुंची थी। गीता ने बचपन की धुंधली यादों के आधार पर उन्हें इशारों में बताया था कि उसके घर के पास एक नदी थी और वहां गन्ने तथा मूंगफली की खेती होती थी। इसके साथ ही वहां डीजल के इंजन से रेल चला करती थी। गीता के इशारे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके के कुछ स्थानों से मेल खाते हैं।
24 दंपति कर चुके है दावा
भारत लाये जाने के बाद गीता को इंदौर में रखा गया था। इस बीच देशभर के 24 दंपतियों ने गीता के माता-पिता होने का दावा किया। लेकिन किसी का डीएनए टेस्ट मैच नहीं हुआ। यही वजह रही कि उसके माता-पिता की तलाश जारी रही। वर्तमान में गीता महाराष्ट्र के परभणी में रह रही है।