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स्मार्टफोन की लत युवाओं में बढ़ा रही बीमारी का खतरा, शोध में खुलासा 18 से 30 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा शिकार

Manoj Shukla
5 March 2021 12:22 PM GMT
स्मार्टफोन की लत युवाओं में बढ़ा रही बीमारी का खतरा, शोध में खुलासा 18 से 30 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा शिकार
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स्मार्टफोन का क्रेज आज युवाओं में सिर चढ़कर बोल रहा हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि 18 से 30 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा स्मार्टफोन का यूज करते हैं। ऐसे में वह अनिद्रा जैसी कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे है। वह दिनभर फोन में एक्टिव रहते हैं।

स्मार्टफोन का क्रेज आज युवाओं में सिर चढ़कर बोल रहा हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि 18 से 30 वर्ष के युवा सबसे ज्यादा स्मार्टफोन का यूज करते हैं। ऐसे में वह अनिद्रा जैसी कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे है। वह दिनभर फोन में एक्टिव रहते हैं। फोन में अगर कोई भी मैसेज आता है तो वह उसे देखने को बेकाबू हो जाते हैं। इस तरह की लत अगर आपके अंदर भी हैं तो हैरान मत होइए क्योंकि आप इसमें अकेले नहीं हैं। एक अध्ययन की माने तो दुनियाभर के एक तिहाई युवा इस बीमारी के शिकार हैं।

खबरों की माने तो किंग्स काॅलेज लंदन द्वारा एक शोध किया गया। जिसमें 1043 लोगों को शामिल किया गया। जिनकी उम्र 18 से 30 वर्ष थी। शोध में पाया गया कि स्मोर्टफोन में मैसेज आने के साथ ही 39 फीसदी युवा नियंत्रण खोने जैसे लक्षणों के शिकार हैं।

नींद हो रही खराब

स्मार्टफोन का बढ़ता क्रेज युवाओं के स्वास्थ्य बुरा असर डाल रहा हैं। प्रायः देखने को मिलता है ज्यादातर युवा रात-रात भर इन स्मार्टफोन पर बिजी रहते हैं। जिससे उनकी दिनचर्या में बदलाव हो जाता हैं। देर रात तक जागना, फिर सुबह लेट उठना। समय पर खान-पान सही तरीके से न हो पाना कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता हैं। स्मार्टफोन से जहां नींद तो खराब होती है वहीं बदली हुई दिनचर्या स्वास्थ्य को बिगाड़ कर रख देती हैं। आज ज्यादातर युवा इस रूटीन के शिकार हैं। जिसका सबसे कारण स्मार्टफोन ही हैं। अगर ये युवा समय रहते स्मार्टफोन से दूरी नहीं बनाते हैं तो वह दिन दूर नहीं जब अनिद्रा, आंखों की रोशनी एवं इनके स्वास्थ्य को लेकर गंभीर परिणाम सामने देखने को मिल सकते हैं।

निर्धारित करें समय

स्मार्टफोन की लत से खुद को निकालने के लिए एक निर्धारित समय-सारिणी तैयार करें। एक निश्चित समय तक ही इसका उपयोग करें। इसके बाद इसे बंद कर रखें। स्मार्टफोन का उस समय बिल्कुल भी प्रयोग न करें जब आप किसी मीटिंग में हो, खाना खा रहे हो या अन्य कामों में बिजी हों। इससे आपका दिमाग दूसरी तरफ नहीं भागेगा। बल्कि आप एकाग्र होकर जिस काम पर लगे हुए हैं उसे बड़े अच्छे तरीके से करेंगे।

सोशल मीडिया से बनाए दूरी

प्रायः देखने को मिलता है कि ज्यादातर युवा दिनभर सोशल मीडिया में एक्टिव रहते हैं। इसलिए जरूरी है कि सोशल मीडिया यूजेस को कम किया जाए। काम के समय ही इसका उपयोग करें अन्यथा इससे खुद को दूर रखे तो ज्यादा बेहतर होगा।

ऐसा करता है असर

शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्टफोन की लत को नोमोफोबिया कहा जाता है। ऐसा इसलिए कि कोई भी स्पैक्ट्रम प्रकाश स्त्रोत मेलाटोनिन स्तर को दबाने का काम करता है। मेलाटोनिन डेली 24 घंटे की सर्कैडियन लय में स्त्रावित होता है। जिसे अक्सर स्लीप हार्मोन के रूप में जाना जाता है। इसके चरम स्तर पर के मायने होते हैं हम रात में बेहतर नींद लेते हैं।

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