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Raksha Bandhan 2021 : भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार कल, जाने शुभ मुर्हूत व पौराणिक कथा

Manoj Shukla
21 Aug 2021 10:46 AM IST
Raksha Bandhan 2021: Raksha Bandhan festival symbolizing the love of brother and sister tomorrow, know auspicious time and mythology
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रक्षाबंधन का त्यौहार कल यानी कि 22 अगस्त को देशभर में मनाया जाएगा। इस दिन बहनें भाई को राखी बांधेगी। ऐसे में चलिए जानते है राखी बांधने का शुभ मुर्हूत

Raksha Bandhan 2021 : इस साल रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम से देशभर में 22 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का हैं। इस दिन बहनें भाई की कलाई में राखी बांधती हैं। आरती उतारती हैं, मीठा खिलाती हैं एवं खुद की रक्षा का वचन लेती हैं। भाई भी बहनों की उपहार स्वरूप गिफ्ट देते हैं। ऐसे में बहनें बाजारों में राखी खरीददारी कर रही हैं। आज बाजारों में मीठे एवं राखी की दुकान में बहनों की खासा भीड़ देखी जा सकती हैं। इस रक्षाबंधन ज्योतिषविद् बताते हैं कि सावन मास की पूर्णिमा के दिन अमृत योग मुर्हूत हैं। इस मुर्हूत में राखी बांधन से भाई एवं बहनों को लम्बी उम्र की प्राप्ति होती हैं। ऐसे में चलिए जानते रक्षाबंधन का शुभ मुर्हूत।

शुभ मुर्हूत

ज्योतिषविद्ों की माने तो इस साल दिन भर बहनें राखी बांध सकती हैं। क्योंकि इस सावन की पूर्णिमा के दिन भद्रा नहीं है। लेकिन शाम 5.16 बजे से 6 बजे तक राहुकाल रहेगा। अंतः इस बीच राखी बांधना अशुभ रहेगा। शाम 6 बजे के बाद रात 9 बजे तक बहनें राखी बांध सकती हैं। लेकिन स्थिर लगन में राखी बांधना शुभ परिणाम देता हैं।

ये हैं शुभ मुर्हूत

ज्योतिषविद्ों बताते है कि इस रक्षाबंधन राखी बांधने के कुछ विशेष शुभ मुर्हूत हैं। जो इस प्रकार हैं।

प्रातः 6.15 बजे से 7.51 बजे तक।

मध्यान्ह 12 बजे से 2.45 बजे तक।

शाम 6.31 से 7.59 बजे तक। यह सभी स्थिर लगन मुर्हूत हैं। इन मुहूर्तो में राखी बांधने से शुभ फल की प्राप्ति होती हैं। ऐसा ज्योतिषविद् बताते हैं।

ऐसे रक्षाबंधन पर्व की हुई शुरूआत

पौराणिक कथाओं की माने तो रक्षाबंधन का पर्व आदिकाल से मनाया जाता रहा हैं। रक्षाबंधन की शुरूआत माता लक्ष्मी ने की थी। दरअसल जब भगवान विष्णु बामन अवतार धारण करके राजा बलि के पास गए और तीन पग में पूरी धरती को नाप लिया था। राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया। तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा। राजा ने कहा कि मेरी इच्छा है कि जब मैं देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते, जागते, हर क्षण मैं बस आपको ही देखना चाहता हूं। तब भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया और राजा के साथ पाताल लोक में रहने लगे। जिससे माता लक्ष्मी चिंतित हो उठी। उन्होंने पूरा वृतांत नारद जी को बताया। तब नारद जी ने माता को उपाय बताते हुए कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लो और वरदान स्वरूप भगवान विष्णु को मांग लीजिए। नारद की बात मानकर माता लक्ष्मी वेष बदलकर पाताल लोक पहुंची और विलाप करने लगी। जब राजा बलि ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मेरे कोई भाई नहीं हैं इसलिए मैं विलाप कर रही हूूं। माता लक्ष्मी की बात सुनकर राजा ने कहा कि मैं आज से आपका भाई हूं। लिहाजा मां लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और बदले में भगवान विष्णु को पताल लोक से स्वर्ग लोक ले जाने का वरदान मांगा। ऐसी मान्यता है कि तभी से भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।

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