बड़ी खबर: 69000 शिक्षक भर्ती मामला, HIGH COURT ने चयन सूची की रद्द, दोबारा रिव्यू करने का दिया आदेश
उत्तरप्रदेश सरकार को शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने चयन सूची को रद्द करते हुए राज्य सरकार को दोबारा रिव्यू करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती की मौजूदा लिस्ट को गलत माना है। लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस ओपी शुक्ला ने यह आदेश दिया है। इस चयन सूची को यह कहते हुए चुनौती दी गई थी कि इसे बिना किसी विज्ञापन के जारी किया गया था।
सरकार चयन सूची पर फिर करे विचार
यूपी सरकार को 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत माना है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने भर्ती परीक्षा के क्रम में आरक्षित वर्ग के अतिरिक्त 6800 अभ्यर्थियों की 5 जनवरी 2022 को जारी हुई चयन सूची को भी खारिज कर दिया गया है। मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को जून 2020 की सूची पर फिर से विचार करने को कहा है। न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला की पीठ ने 117 याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई-2019) में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोटा तय करने में कई अवैध काम किए गए हैं। न्यायमूर्ति ओपी शुक्ला ने कहा कि एटीआरई-2019 में शामिल होने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के प्राप्तांकों और विवरण में कोई स्पष्टता नहीं थी। इसके लिए राज्य के अधिकारियों की ओर से भी कोई प्रयास नहीं किया।
लिस्ट तैयार करने 3 माह का समय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने शिक्षक भर्ती मामले में राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है कि वह अंतिम सूची की समीक्षा अगले तीन महीने के भीतर उचित तरीके से आरक्षण तय कर करे। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने 5 जनवरी 2022 को जारी 68 हजार शिक्षकों की चयन सूची को भी रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार उन शिक्षकों के समायोजन के लिए एक नीति तैयार करे जिन्हें एक जून 2020 की चयन सूची की समीक्षा के परिणामस्वरूप होने वाले संशोधन के बाद पद से हटाया जा सकता है। राज्य सरकार को पूरी लिस्ट सही करने के लिए हाईकोर्ट ने 3 महीने का समय दिया है।
इन शिक्षकों को मिली राहत
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे शिक्षक जिन्हें नियुक्त किया गया है और वह पिछले दो वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे हैं उनको दोषी नहीं माना जा सकता। चाहे वह आरक्षित श्रेणी के हों अथवा अनारक्षित श्रेणी के। उन शिक्षकों के समयोजन के लिए राज्य सरकार एक नीति तैयार करे जिन्हें एक जून 2020 की चयन सूची में संशोधन होने पर पद से हटाया जा सकता है। ऐसे सहायक प्राध्यापक जो वर्तमान समय पर सेवाएं दे रहे हैं चयन सूची को संशोधित किए जाने की प्रक्रिया अपनाए जाने तक उनकी सेवा में किसी भी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं करने के भी निर्देश दिए गए हैं।