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जबलपुर: गांव में बंदरों का आतंक, बच्चों ने स्कूल जाना किया बंद तो घर से नहीं निकलते ग्रामीण
जबलपुर- जिले के पनागर तहसील के पिपरिया गांव के रहवासी इस समय अपने घर के अंदर ही दुबके रहते है। बच्चों ने विद्यालय जाना बंद कर दिया है। अगर किसी कारण से ग्रामीण घर से निकलते भी हैं तो वह भी डर के साए में। यहां किसी आतंकवादी या डकैतों का आतंक नहीं है, आतंक है तो बंदरों का। पिछले कुछ समय से यहां सैकड़ों की संख्या में बंदर घूमते रहते है। कब किस ग्रामीण को बंदर काट दे, किसके घर के अंदर घुस जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।
ऐसा नहीं है कि इस बारे में प्रशासन या वन विभाग को जानकारी नहीं है। ग्रामीणों द्वारा पूर्व में वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों को गांव में मौजूद बंदरों की समस्या के बारे मे बताया। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा समस्या का निराकरण नहीं किया गया। जिसके कारण यहां बंदरों की समस्या अपने चरम पर है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
स्थानीय निवासी मीरा बाई बताती हैं कि दो साल से बंदरों ने ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर दिया है। अब तो घरो की छत में जाने भी डर लगता है। दिन के समय गांव की गलियां सूनी रहती है। ग्रामीण अगर निकलते भी हैं तो उनके हांथ मंे डण्डा रहता है। कब कहां से बंदर आक्रमण कर दे। कुछ कहा नहीं जा सकता। अभी तब बंदरों ने एक दर्जन से अधिक महिलाओं और बच्चों को अपना निशाना बनाया है। गांव में तकरीबन 2 से 250 बंदर दिन भर धमाचैकड़ी मचाते रहते हैं।
विद्यालय में घट गई बच्चों की संख्या
बताया गया है कि बंदरो के डर से बच्चे विद्यालय नहीं जाते। जिसके कारण विद्यालय में बच्चों की संख्या न के बराबर रह गई है। गांव में कक्षा पांचवी तक प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका अर्चना तिवारी ने बताया कि बंदरों के डर से बच्चे विद्यालय नहीं आते। विद्यालय आने के पहले ही बंदर विद्यालय को घेरे बैठे रहते हैं। पूर्व में कई बच्चों को बंदरो ने काट लिया था।
विभाग की लापरवाही
ग्रामीणों ने बताया कि वन और प्रशासन को बंदरों की समस्या के बारे में बताया गया। वन विभाग कहता है कि बंदर और सांप पकड़ने का काम प्रशासन का है, हमारा नहीं। इसी प्रकार प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि यह काम वन विभाग का है। एसडीएम पीके सेन गुप्ता ने बताया कि मेरी जानकारी मंे यह मामला नहीं था। ग्रामीणो की हर संभव मदद की जाएगी।