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जबलपुर में मिला दुर्लभ और विलुप्त प्रजाति का उल्लू, धार्मिक दृष्टिकोण से भी है महत्व
जबलपुर- जिले में एक दुर्लभ और विलुप्त प्रजाति का उल्लू पाया गया है। उल्लू के पैर में चोंट के निशान थे। जिसके कारण वह उड़ने में सक्षम नहीं था। दुर्लभ प्रजाति के इस उल्लू का धार्मिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। फिलहाल वेटनरी के चिकित्सकों द्वारा युवक का ईलाज किया जा रहा है। सफेद रंग के उल्लू का मिलना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बताया गया है कि जबलपुर के गढ़ा बाजार के पास पीपल के पेड़ के नीचे मंगलवार की सुबह घायल विलुप्त प्रजाति का उल्लू तड़पते हुए पाया गया। स्थानीय लोगों द्वारा घटना की सूचना वन्य प्राणी विशेषज्ञ गजेन्द्र दुबे को दी गई। मौक पर पहुंचे गजेन्द्र ने उल्लू को पकड़ने के बाद उसे वन विभाग को सौंप दिया। वन विभाग द्वारा वेटरनरी के चिकित्सकों की मदद से घायल उल्लू का ईलाज कराया जा रहा है। बताया गया है कि पतंग के माझे से उल्लू के दोनो पैरों में चोंट लग गई थी, जिसके कारण वह उड़ नहीं पा रहा था।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वन्य प्राणी विशेषज्ञ गजेन्द्र ने बताया क यह बार्न आउल है। जिसे हवेली उल्लू भी कहा जाता है। यह विलुप्त प्रजाति का उल्लू है। अब इस प्रजाति के उल्लुओं की संख्या न के बराबर है। यह सफेद रंग का होता है। उल्लू के पैर में मांझा से कटने के निशान मौजूद है।
धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसा माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू को माना जाता है। वह भी सफेद रंग का उल्लू। गौरतलब है कि देश के अधिकतर हिस्सों में उल्लू पाए जाते हैं। लेकिन जो उल्लू पाए जाते हैं उसमें से अधिकतर उल्लुओं का रंग ब्राउन होता है। सफेद रंग का उल्लू बहुत ही कम दिखाई देता है। गढ़ा बाजार में सफेद रंग के उल्लू का दिखना पूरा दिन आमजन के बीच चर्चा का केन्द्र बिंदू बना रहा।