जबलपुर

जबलपुर की एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी में 240 में से 205 पद खाली, कुलपति का छलका दर्द

Sanjay Patel
24 Dec 2022 3:12 PM IST
जबलपुर की एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी में 240 में से 205 पद खाली, कुलपति का छलका दर्द
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मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर समय पर परीक्षाएं न होने के कारण अक्सर विवादों में रहती है। स्टाफ की कमी से जूझ रहे इस यूनिवर्सिटी के कुलपति का दर्द छलक आया।

मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी जबलपुर समय पर परीक्षाएं न होने के कारण अक्सर विवादों में रहती है। स्टाफ की कमी से जूझ रहे इस यूनिवर्सिटी के कुलपति का दर्द छलक आया। प्रदेश की इकलौती मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अशोक खण्डेलवाल की मानें तो स्टाफ नहीं होने से इसको चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है किन्तु सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

बारह बोर की बंदूक से चला रहे काम

जबलपुर एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी में अधिकारियों-कर्मचारियों के 86 फीसदी पद रिक्त पड़े हुए हैं। जिस पर कुलपति डॉ. खण्डेलवाल ने कहा कि उन्हें जरूरत एके-47 की है किंतु वह बारह बोर की बंदूक से काम चला रहे हैं। वर्ष 2011 में इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई थी। लंबे इंतजार के बाद हाल ही में विशाल बिल्डिंग तो बनाकर तैयार हो गई लेकिन यहां काम करने वाले कर्मचारियों का टोटा बना हुआ है।

तीन सालों से नहीं हुई परीक्षा

बताया गया है कि यूनिवर्सिटी पर प्रदेश के सभी मेडिकल, डेंटल, पैरामेडिकल, नर्सिंग, आयुष, होमियोपैथी सहित चिकित्सा क्षेत्र के सभी कोर्स संचालित करने वाले कॉलेजों के रैगुलेशन का जिम्मा है। यूनिवर्सिटी को सभी कॉलेजों में समय पर परीक्षाएं करवाकर रिजल्ट देना है किंतु परीक्षाएं साल भर के विलंब के बाद भी नहीं हो पा रही हैं। बीएससी नर्सिंग फर्स्ट ईयर परीक्षा की बात की जाए तो यह तो बीते तीन सालों से नहीं हुई। इस परीक्षा का टाईम टेबल कई बार यूनिवर्सिटी द्वारा बदला गया लेकिन परीक्षाएं नहीं हो पाईं अब परेशान छात्र विश्वविद्यालय का घेराव कर रहे हैं।

केवल 35 पद भरे हैं

सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी में मात्र 35 पद भरे हुए हैं। जबकि यहां 240 पद स्वीकृत हैं, 205 पदों पर पदस्थापना नहीं होने से यह रिक्त पड़े हुए हैं। वहीं 35 पदों पर भी अधिकारी, कर्मचारी कार्यरत हैं उनमें भी अधिकांश प्रतिनियुक्ति पर हैं। गोपनीय विभाग में प्रतिनियुक्ति पर आए कर्मचारियों की ड्यूटी न लगाने से परीक्षा के कार्य पर असर पड़ रहा है। जबकि एकैडमिक कैलेण्डर पर भी इसका असर पड़ रहा है।

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