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एमपी इंदौर के डॉक्टर ने तैयार की डिवाइस, यूरिन टेस्ट के लिए अस्पताल जाने की नहीं पड़ेगी जरूरत, दो सेकेंड में मिल जाएगा रिजल्ट
एमपी इंदौर के डॉक्टर ने एक ऐसी डिवाइस बनाई है जिसकी मदद से घर बैठे यूरिन टेस्ट किया जा सकेगा। जिससे न तो जांच के लिए अस्पताल जाना पड़ेगा न ही किसी के मदद की जरूरत पड़ेगी। डिवाइस की मदद से आसानी से यूरिन टेस्ट किया जा सकेगा। इसकी रिपोर्ट भी लोगों को चंद मिनटों में ही मिल जाएगी।
समिट में दिया प्रजेंटेशन
इंदौर में हाल ही में हुए प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में डॉ. पंकज पाराशर ने अपने इस आइडिये का प्रजेंटेशन दिया। जिसका नतीजा यह रहा कि कुवैत समेत मिडिल ईस्ट के लोगों ने इसमें इन्वेस्ट करने में अपनी रुचि दिखाई है। डॉ. पाराशर इंदौर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस हैं। एमजीएम में ही फिजियोलॉजी डिपॉर्टमेंट में पदस्थ डॉ. पाराशर की रुचि मेडिकल टेक्नोलॉजी में प्रारंभ से ही थी। वह अंडर ग्रेजुएट की पढ़ाई के समय से ही मेडिकल डिवाइस पर काम कर रहे थे। इस डिवाइस में प्रयुक्त होने वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा कम्पोनेंट इंपोर्ट होते हैं। डॉक्टर को अपनी बहन की परेशानी से इस डिवाइस को बनाने की दिशा मिली।
डिवाइस बनाने में लगा 7 वर्ष का समय
इंदौर एमजीएम में पदस्थ डॉ. पाराशर के मुताबिक उनको यह डिवाइस बनाने में 7 वर्ष का समय लग गया। डिवाइस को तैयार करने में पौने तीन करोड़ रुपए से अधिक खर्च हुए। अब देश ही नहीं विदेश के भी इनवेस्टर्स इसमें अपनी रुचि दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि शुगर और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को किडनी की बीमारी होने का ज्यादा अंदेशा रहता है। जिसके चलते उसका समय पर पता करने के लिए टेस्ट किया जाता है जो इस डिवाइस के जरिए आसानी से बिना लैब जाए ही किया जा सकेगा। ऐसे में मरीजों को यूरिन टेस्ट राहत प्रदान करेगा।
15 से 20 सेकेंड में हो जाता है यूरिन टेस्ट
डिवाइस में यूरिन सैंपल डालने सहित पूरी प्रक्रिया में मात्र 15 से 20 सेकेंड का समय लगता है। जिसके बाद अगले दो सेकेंड में परिणाम भी सामने आ जाता है। डॉ. पाराशर की मानें तो डिवाइस का एक्यूरेसी लेवल 95 परसेंट है। अभी लैब में रिपोर्ट आने में 24 से 48 घंटे तक का समय लगा जाता है। मशीन की कीमत फिलहाल एक लाख रुपए है। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस को तैयार करने में तकरीबन पौने तीन करोड़ रुपए की लागत आई। जिसमें 60 प्रतिशत राशि सरकारी मदद से मुहैया कराई गई।
रिवर्स कर सकते हैं किडनी की बीमारी
डॉ. पंकज पाराशर के मुताबिक यूरिन की जांच में रूटीन प्रोटीन की जांच करते हैं। किंतु जांच में प्रोटीन का पता तब चलता है जब 50 मिलीग्राम के आसपास प्रोटीन की मात्रा हो जाती है। यदि जल्दी जांच कर ली जाए तो नार्मल यूरिन में प्रोटीन नहीं आती है। अगर आती है तो मतलब साफ है कि किडनी की फिल्टर मेम्ब्रेन खराब हुई है। इस डैमेज का यदि जल्दी पता लगा लिया जाए तो किडनी की बीमारी को रिवर्स किया जा सकता है। वहीं हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में भी पता लगाया जा सकता है कि महिला की स्थिति खराब होने वाली है तो उनको बेहतर हेल्थ केयर के लिए अस्पताल में ले जाया जा सके।
डिवाइस का नाम है सिंटिग्लो
उनके द्वारा वर्ष 2014 में डिवाइस को लेकर काम प्रारंभ किया गया। डॉ. पाराशर ने सिंटिग्लो नाम की डिवाइस यूरिन टेस्ट के लिए तैयार की है। उन्होंने बताया कि मेडिकल डिवाइस का वेलिडेशन होता है। केन्द्र और राज्य सरकार की एजेंसी द्वारा उसकी मान्यता को चेक किया जाता है इसके बाद मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस प्रदान किया है। उनके इस उत्पाद के तीन क्लिनिकल ट्रायल हुए हैं। दिल्ली एम्स में एक हजार सैंपल पर टेस्ट किया गया जिसके बाद जाकर यह डिवाइस लॉन्च किया गया है। डॉ. पाराशर की मानें तो इंदौर में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन के तहत पिच टू प्रवासी इवेंट हुआ था। जिसमें 20 देशों के प्रवासियों के सामने उनके द्वारा पिच किया गया था और वहां से काफी इंटरेस्ट मिला है। वह लोग फाइनेंशियल सपोर्ट भी करने को तैयार हैं। जबकि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में भी कुवैत और मिडिल ईस्ट के कुछ ट्रेडर्स ने उसने कॉन्टैक्ट कर डिवाइस को अपने यहां ले जाने की इच्छा जाहिर की।