इंदौर

MP के खंडवा में सेंट्रल GST अधीक्षक रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने की कार्रवाई

MP के खंडवा में सेंट्रल GST अधीक्षक रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने की कार्रवाई
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MP के इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने केंद्रीय जीएसटी अधीक्षक मुकेश त्रिपाठी को खंडवा में 20,000 रुपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। मेडिकल फर्म का रजिस्ट्रेशन बहाल करने और अन्य बदलावों के लिए आरोपी ने रिश्वत की मांग की थी।

मध्य प्रदेश के खंडवा में केंद्रीय जीएसटी (CGST) विभाग के अधीक्षक मुकेश त्रिपाठी को 20,000 रुपए रिश्वत लेते हुए इंदौर लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार किया। अधीक्षक ने एक मेडिकल फर्म का निलंबित रजिस्ट्रेशन बहाल करने और अन्य फर्मों में बदलाव के लिए फरियादी से रिश्वत मांगी थी।

लोकायुक्त पुलिस के अनुसार, सनावद निवासी राहुल बिरला ने अधीक्षक त्रिपाठी की रिश्वत की मांग को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर, पुलिस ने बीएसएनएल भवन, भंडारिया रोड पर निगरानी रखी और निर्धारित योजना के तहत राहुल ने अधीक्षक त्रिपाठी को रिश्वत के पैसे दिए। जैसे ही त्रिपाठी ने पैसे अपनी जेब में रखे, लोकायुक्त डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल और उनकी टीम ने उन्हें रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया।

राहुल बिरला, जो GST रिटर्न और अकाउंटिंग का काम करते हैं, ने बताया कि त्रिपाठी ने उनकी एक मेडिकल फर्म का रजिस्ट्रेशन निलंबित कर दिया था और उसे बहाल करने तथा तीन अन्य फर्मों में संशोधन के लिए 20,000 रुपए की मांग की थी।

लोकायुक्त की कार्यवाही

डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल ने बताया कि अधीक्षक त्रिपाठी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह इस महीने में इंदौर संभाग में लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई सातवीं कार्रवाई है, जिससे विभाग में भ्रष्टाचार पर सख्ती से नज़र रखने की पुष्टि होती है।

रिश्वत की तय रेट लिस्ट

शिकायतकर्ता राहुल के अनुसार, अधीक्षक त्रिपाठी ने विभिन्न कार्यों के लिए रिश्वत की एक ‘रेट लिस्ट’ बनाई थी। इसमें GST निलंबन को बहाल करने के लिए 5,000 रुपए, GST नंबर के लिए 10,000 रुपए, और GST रद्दीकरण के लिए 10,000 रुपए की मांग की जाती थी। इसके अलावा, नोटिस मिलने पर भी 20,000 से 25,000 रुपए की अतिरिक्त मांग की जाती थी।

राहुल ने यह भी बताया कि खरगोन और खंडवा के कई अकाउंटेंट अधीक्षक त्रिपाठी की धमकियों से परेशान थे, क्योंकि वह डर का माहौल बनाकर रिश्वत वसूलते थे।

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