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आपका बच्चा बदमाश है या बीमार, पहचाने इन लक्षणों से
बच्चा (child) किसी की बात नहीं सुनता, उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता, ये शिकायते अधिकत हर पैरंट्स (Parents) की होती हैं। छोटे बच्चे हो और बदमाशी न करे ये तो हो ही नहीं सकता। लेकिन हर समय यह जरूरी नहीं होता कि अगर बच्चा इस तरह का बर्ताव कर रहा है तो यह सिर्फ उसकी शैतानी हो। ऐसा भी हो सकता है कि बच्चे को कोई मानसिक समस्या (Mental problem) हो। जी हाँ! बच्चों की हर एक एक्टिविटी (Activity) पर बारीकी से ध्यान रखना चाहिए अगर कोई भी ऐक्टिविटी (Activity) आपको असामान्य लगे तो तुरंत ही डॉक्टर (Doctor) से संपर्क करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स (Experts)?
जब बच्चा दिखे टेंशन में (When the child is seen in tension)
बच्चों का अचानक चिड़चिड़ा हो जाना, बात न मानना और उलट जवाब देना ये सभी लक्षण डर और ऐंग्जाइटी (Anxiety) के भी हो सकते हैं। मोटे तौर पर कहे तो यह चिंता या उतावलापन हो सकता हैं। एक्सपर्ट्स (Experts) का मानना है कि यह एक बायॉलॉजिकल मेनिज़म है जिसके माध्यम से बॉडी तनाव (Stress) का सामना करने के लिए तैयार होती है। इस स्थिति में बच्चा (child) किसी वस्तु, परिस्थिति या व्यक्ति को खुद के लिए खतरनाक मान लेता है। ऐसी स्थिति में उसके शरीर में 'फाइट या फ्लाइट रेस्पॉन्स' का जन्म होता है, जिसका अर्थ है कि या तो बच्चा (child) उस स्थिति से लड़ता है या भागने की कोशिश करता है। उसके इस डर का असर पढ़ाई में या फिर रोजमर्रा के कामों पर भी पड़ने लगता है।
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि आजकल जब बच्चों पर प्रेशर (Pressure) होता है तो इसके चलते ऐसा बच्चा (child) जिसकी उम्र मात्र 6 साल की है उनमें भी ऐंग्जाइटी (Anxiety) के लक्षण देखे जाते हैं।
कैसे पहचाने कि बच्चा हो रहा है ऐंग्जाइटी का शिकार
एक्सपर्ट्स (Experts) के अनुसार अगर आपके बच्चे में नीचे दिए गए लक्षण (Symptoms) दिखें तो सचेत हो जाए तुरंत किसी अच्छे बच्चों के साइकोलॉजिस्ट (Psychologist) से संपर्क करें:
• बच्चे का बेचैन या घबराहट (Nervousness) रहना
• बच्चे का अक्सर गुमसुम हो जाना
• बच्चा (child) अपने ग्रुप में खेलने से कतराता है
• उसके दिल की धड़कन (Heartbeat) अचानक बढ़ जाती हैं
• बच्चे का सांस लेने में दिक्कत होना (Difficulty breathing)।
• बच्चा (child) बार बार पैंट में ही टायलेट (Toilet) करता है।
पेरेंट्स (Parents) को बच्चे के साथ दोस्ताना होना चाहिए, उसकी परेशानी का कारण पूछे। खेल-खेल में उसके मन की बात जानने की कोशिश करें। ये उम्मीद न रखे कि पहली ही बार में बच्चा (child) आपको सब कुछ बता देगा इसलिए धैर्य पूर्वक काम लें।
ध्यान रखे आपके थोड़े से प्रयास और सही इलाज से आपका बच्चा (child) फिर से नॉर्मल हो जाएगा।