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सबसे पहले किसे दी जाए कोरोना वायरस की वैक्सीन? क्या है एक्सपर्ट का मास्टर प्लान, जानिए
सबसे पहले किसे दी जाए कोरोना वायरस की वैक्सीन? क्या है एक्सपर्ट का मास्टर प्लान, जानिए
कोरोना वायरस की वैक्सीन पर दुनियाभर में वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) का कहना है कि साल 2021 के मध्य तक इस जानलेवा महामारी की वैक्सीन आ सकती है. हालांकि शुरुआत में वैक्सीन का बड़े पैमाने पर निर्माण असंभव है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट को पहले से ये तय करना होगा कि वैक्सीन सबसे पहले किसे दी जाए. यानी इसका सबसे पहला हकदार कौन होगा.
क्या है 'फेयर प्रायॉरिटी मॉडल'
विश्व स्तर के 19 हेल्थ एक्सपर्ट्स की एक टीम ने वैक्सीन डिस्ट्रिब्यशन (टीका वितरण) के लिए तीन चरण की योजना का प्रस्ताव रखा है. वैक्सीन डिस्ट्रिब्यूशन के इस मॉडल को एक्सपर्ट्स ने 'फेयर प्रायॉरिटी मॉडल' नाम दिया है. इस टीम का उद्देश्य भविष्य में कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना है.
पहले चरण में
इस टीम का सुझाव है कि वैक्सीन वितरण के पहले चरण में अकाल मृत्यु (प्रीमैच्योर डेथ) और गंभीर रूप से पीड़ित लोगों (Corona patients) को ही वैक्सीनेट किया जाना चाहिए. आमतौर पर वैश्विक स्वास्थ्य सूचकांक को इसी आधार पर तय किया जाता है.
दूसरे चरण में
आर्थिक स्थिति के आधार पर वैक्सीन वितरण की बात कही गई है. इस स्टेज में गरीब परिवारों को वैक्सीन देने पर जोर दिया गया है, ताकि बड़े गरीब परिवारों को महामारी अपना शिकार ना बना सके. हालांकि इस चरण में भी प्रीमैच्योर डेथ और गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों का विशेष ध्यान रखना होगा.
तीसरे चरण में
वैक्सीन वितरण के तीसरे चरण में वायरस के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन को ध्यान में रखकर काम करना होगा. इससे वायरस को एक देश से दूसरे देश में फैलने से रोका जा सकेगा. हालांकि वायरस ट्रांसमिशन को रोकने के लिए सभी देशों को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन की जरूरत होगी. प्रत्येक चरण में हर देश को एक निश्चित संख्या में ही वैक्सीन आवंटित किए जाएंगे. इसमें यह भी देखना होगा कि वायरस का सबसे ज्यादा प्रभाव किन जगहों पर पड़ा है.
क्या है WHO की योजना
इसके विपरीत WHO की योजना है कि प्रत्येक देश की 3% आबादी को वैक्सीनेट कर इसकी शुरुआत की जाए. इसके बाद जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से लोगों को वैक्सीन मिले. ये प्रक्रिया तब तक जारी रहे, जब तक हर देश के करीब 20% नागरिक वैक्सीनेट ना हो जाएं.
अमेरिका में पेन्सिलवेनिया यनिवर्सिटी के प्रमुख शोध लेकक ईजेकीन जे. एमानुएल का कहना है कि कोरोना वैक्सीन का वितरण लोगों के बीच निष्पक्ष तरीके से किया जाना जरूरी है. सामान्यत: हम मरीज की नाजुक हालत देखकर ही ये तय करते हैं कि वैक्सीन पहले किसे दिया जाना चाहिए. वैक्सीन से महामारी का सामना कर रहे लोगों के डेथ रेट में निश्चित तौर पर कमी आएगी.
कोरोना वायरस के पूरी दुनिया में अब तक 2 करोड़ 70 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 8 लाख 83 हजार से भी ज्यादा की मौत हो चुकी है. कोरोना की मार झेलने वाले देशों में भारत तीसरे पायदान पर है.
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