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Pollution effects : प्रदूषण से इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज का बढ़ा खतरा, जानें इसके लक्षण एवं बचाव
Pollution effects : फेफड़े (Lungs ) हमारे जीवन के लिए आवश्यक अंग है क्योंकि हमें जीवन जीने के लिए सांस लेने के अलावा और कुछ भी मायने नहीं रखता है, श्वसन-तंत्र हमारे शरीर का प्रमुख हिस्सा होता है। जो नाक, श्वसन नली और फेफड़ों (Lungs ) से मिलकर बना होता है। जो नासा द्वार से शुद्ध ऑक्सीजन को फेफड़ों (Lungs ) तक पहुंचाना और उत्तकों से कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करता है, जो हमारे जीवन के लिए अति आवश्यक है। हमारी जिंदगी में प्रदूषण (Pollution) की बढ़ती हुई समस्या अभिशाप बनते जा रही है क्योंकि वायु प्रदूषण (Air pollution) से शरीर श्वसनन तंत्र ही सबसे अधिक प्रभावित होता है जिससे कई खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ता है तो चलिए आज हम जानते हैं इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज (Interstitial lung disease) के लक्षण एवं बचाव के बारे में।
इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज क्या हैं (What is Interstitial Lung Disease)
इंटरस्टीशियल लंग्स डिज़ीज़ (Interstitial lung disease) श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है जो फेफड़ों (Lungs ) में हवा के फिल्टर के लिए बने अति सूक्ष्म छिद्रों के बीच मौजूद खाली जगह को प्रभावित करता है, ऐसी स्थिति में लंग्स में उपस्थित कोशिकाएं सख्त एवं मोटी हो जाती हैं। जिससे व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होने लगती हैं एवं रक्त प्रवाह के जरिए शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन (Oxygen) नहीं पहुंच पाता हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी होने लगती है। और ऐसी स्थिति में सर्वाधिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis) नामक समस्या देखने को मिलती है व सरकाइडोसिस, हाइपर सेंसिटिविटी, न्युमोनाइटिस जैसी समस्याएं होती हैं।
इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज के प्रमुख लक्षण (Main symptoms)
इस बीमारी में शुरुआती तौर पर सांस लेने में तकलीफ, बेवजह थकान, और सुखी खांसी, सीने में दर्द कभी-कभी बलगम में खून आना, वजन घटने जैसे गंभीर संकेत होते हैं
इंटरस्टीशियल लंग्स डिजीज के बचाव (Prevention )
धूम्रपान न करें और पैसिव स्मोकिंग वजह से भी यह समस्या होती है, वायु प्रदूषित स्थानों पर जाने से बचें, रेडॉन के संपर्क में आने से बचें और बाहर जाते समय मास्क पहनना ना भूलें और स्मोकिंग (Smoking) से दूर रहें।
इंटरस्टीशियल लंग्स डिज़ीज़ के उपचार (treatment)
किसी भी मरीज में लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द फुफ्फुस रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिएं और एक्स-रे, सीटी स्कैन, ब्रोन्कोस्कोपी (Bronchoscopy) आदि जांच की जाती है और शुरुआत में मरीज को एंटीबायोटिक्स (Antibiotics), स्टेरॉयड (Steroids), एंटीफ्रीब्रोटीक ग्रुप की दवाइयां दी जाती हैं।