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लाइफस्टाइल में आवश्यक बदलाव दिला सकते हैं Thyroid से निजात

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थायराइड (Thyroid) एक आम विकार बन चुका है, जिसकी चपेट में आने के बाद मरीज को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मौजूदा समय में थायराइड (Thyroid) एक आम विकार बन चुका है, जिसकी चपेट में आने के बाद मरीज को कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन इसके बावजूद जानकारी के आभाव में लोगों के मन में इस बीमारी को लेकर कई प्रश्न उठते हैं, जिनके जवाब डॉ. तन्मय भराणी, कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी और डाइबिटोलॉजी, मेदांता सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने वर्ल्ड थायराइड डे के मौके पर दिए हैं।

थायराइड सामान्य तौर पर तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो कि गर्दन के अंदर और कॉलरबोन के ठीक ऊपर स्थित होती है। यह एक एंडोक्राइन ग्रंथि है, जो ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) नामक दो हार्मोन्स का निर्माण करती है। इन हार्मोन्स का उत्पाीदन और स्राव, थायराइड-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

थायराइड ग्रंथि द्वारा ज्यादा या कम मात्रा में हार्मोन्स का निर्माण करने पर थायराइड की समस्याि उत्पथन्नय होने लगती है। यह बीमारी पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करती है। बढ़ा हुआ तनाव, बदली हुई भोजन की आदतें, ईडीसी जैसे रसायनों के संपर्क में आना, आयोडीन की कमी, अनुवांशिक प्रवृत्ति और अज्ञात कई मामले हो सकते हैं, जो इस बीमारी के पनपने का कारण हो सकते हैं।

दो प्रकार का होता है थायराइड

थायराइड विकार प्रमुख तौर पर दो प्रकार का होता है: हाइपरथायराइड और हाइपोथायराइड। हाइपरथायराइडिज्मर में अत्यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनने लगता है, जबकि हाइपोथायराइडिजम में इस हार्मोन का उत्पादन कम होता है।

1. हाइपरथायराइडिज्मा:

हाइपरथायराइडिज्मर की स्थिति में थायराइड ग्रंथ के अधिक सक्रिय होने के कारण थायराइड हार्मोन का अत्यधिक स्राव होने लगता है। इसके महत्वपूर्ण लक्षणों में धड़कन तेज होना, वजन घटना, कंपकंपी, हड्डियों में कमजोरी, कम नींद आना, साँस फूलना, आँखों में लालपन और सूखापन, अधिक प्यास लगना, बाल झड़ना और बालों का पतला होना शामिल हैं।

2. हाइपोथायराइडिज्म :

हाइपोथायराइडिज्मर की स्थिति में थायराइड ग्रंथि सामान्य से कम मात्रा में थायराइड हार्मोन का स्राव करती है। इसके महत्वपूर्ण लक्षणों में वजन बढ़ना, कब्ज, एडिमा, त्वचा का सूखापन, मासिक धर्म की अनियमितता, माँसपेशियों में अकड़न और गला बैठना आदि शामिल हैं। कभी-कभी यह अधिक गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे- उच्च कोलेस्ट्रॉल और हृदय के रोग आदि।

लाइफस्टाइल में ये बदलाव Thyroid से निजात दिला सकते हैं

लाइफस्टाइल में कुछ आवश्यक बदलाव लाकर, जैसे कि संतुलित आहार और पर्याप्त मात्रा में आयोडीन का सेवन, तनाव दूर करने के लिए योग, व्यायाम तथा ध्यान की मदद से थायराइड को नियंत्रित किया जा सकता है।

इसके साथ ही तंबाकू और धूम्रपान से दूरी बनाकर, तनावमुक्त रखकर, घर का बना और स्वस्थ भोजन का सेवन कर इसे कम किया जा सकता है। जैसे कि थायराइड के मुद्दों के लिए मौजूदा समय में बहुत प्रभावी और सुरक्षित दवाएँ उपलब्ध हैं।

इस प्रकार, थायराइड ग्रंथि से संबंधित समस्याओं को नियंत्रित और इसका निराकरण करने के लिए एंडोक्राइनोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श लेते और चैकअप करवाते रहना चाहिए।

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत

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