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'माहौल' पीने वालों की ज़िन्दगी कुछ ऐसे बर्बाद हो रही है, बच्चे ऐसे पीते हैं जैसे रूह अफजा हो, आइये नुकसान और इलाज जानें

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत
10 Nov 2021 4:57 PM IST
Updated: 2021-11-10 12:58:17
Rewa MP News
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पूरे देश में इसका सबसे ज़्यादा सेवन शायद मध्यप्रदेश में होता है और प्रदेश में सबसे ज़्यादा महोली रीवा जिले में कुलबुलाते पाए जाते हैं।

शराब, गांजा, अफीम, स्मैक कम पड़ रहा था इसी लिए देश के होनहार युवाओं ने एक ख़ासी मिटाने की दवाई को नशा बना लिया, वैसे नशा करने वाले नेल पोलिश मिटाने वाले थिनर और पंचर बनाने सल्यूशन से भी काम चला लेते हैं. लेकिन 'माहौल' की शीशी को रूहअफजा शर्बत के जैसे पीने वाले नौजवानों और नाबालिगों का स्वेग अलग लेवल पर है। माहौल जिसे आम बोलचाल में कोरेक्स, साए-बाएं और दवाई बोला जाता है ये बच्चों के जीवन को बर्बाद कर रही है. इतना मान लीजिये जो बुजुर्ग इसे पी रहे हैं वो ज़्यादा दिन के नहीं है और जो जवान इसे पीते हैं उनका बुढ़ापा आएगा ही नहीं और बच्चों के बारे में ऐसा बोलना सही नहीं होगा लेकिन वो भी इसका सेवन करते रहेंगे तो ज़्यादा दिन नहीं टिक पाएंगे।

क्या है माहौल

ये एक ऐसा नशा है जिसने समाज का माहौल ख़राब कर दिया है। दरअसल कफ सिरप में कोडीन नाम का एक केमिकल होता है जो बीमार आदमी को कफ से थोड़ी राहत देता है. लेकिन लिवर और दिमाग की भजिया फाड़ देता है। डॉक्टर इसे कफ, दर्द, डायरिया के मरीजों को थोड़ी मात्रा में लेने की सलाह देते हैं. जब खासी होती है तो इस सिरप को पिने के बाद मदहोशी आती है इंसान सो जाता है, जिससे गले को आराम मिलता है। लेकिन कुछ ऐसे शक्तिमान टाइप के लोग हैं जिन्हे ना तो खासी है ना डायरिया लेकिन ये लोग दिन में एक-दो चम्मच नहीं 3-4 बोतल ढकोस लेते हैं और गली-गली छत्ताते भागते रहते हैं। लात भी खाते हैं कभी कभी।

इसकी लत कैसे लगती है

कोडीन का इस्तेमल ज़्यादा मात्रा में किया जाए तो ये नशे का काम करती है। मान लीजिये किसी ने कोडीन की पूरी बोतल एक साँस में गटक ली तो ये हमारे दिमाग के रिवॉर्ड सेंटर को एक्टिवेट कर देता है। ऐसा होने पर बेमतलब ख़ुशी का एहसास होता है, हंसी आती है, मजा आने लगता है। इसी लिए लोग इसे पीने लगते हैं की माहौल बना रहे, मजा आता रहे. देश के पंजाब और उत्तरी भाग समेत मध्यप्रदेश में ये कोडीन बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। एमपी का रीवा सफ़ेद शेर से ज़्यादा अब महोलियों के लिए पहचाना जाता है। कोई रीवा का आदमी बहार जाता है तो उससे पूछते हैं भाई तुम कोरेक्सी तो नहीं हो ? हो तो चलो फिर....

इसका नुकसान जान लो और दोबारा ना पीने की कसम खा लो

अब हम आपको माहौल पीने के नुकसान बताने वाले हैं अगर आप या आपके दोस्त या फिर घर में कोई बच्चा इसकी लत का शिकार हो गया है तो सबसे पहले उसको 4 लात मारिये और फिर इसके नुकसान को समझाइये

1. अन्य अफीम पदार्थों की तरह कोडीन का भी एक कैरेक्टर होता है जिसको मेडिकल भाषा में टॉलरेंस बोलते हैं। यानी के समय के साथ इस नशे की मात्रा बढ़ाने की ज़रूरत पड़ती रहती है।

2.इसका सेवन करने से एंजाइटी, डिप्रेशन, या बिना पिए नींद ना आने की समस्या होती है

3. इससे वजन घटने लगता है (भाई इसको वेट लॉस करने के लिए ना पीना ) भूख कम लगने लगती है। आदमी झुरा के कांटा हो जाता है

4. कहीं ध्यान नहीं लगता, हमेशा मूड स्विंग होता रहता है, इसी लिए इसको साय-बाएं भी कहते हैं

5. आदमी अपनी ज़िम्मेदारियों से भागने लगता है

6. लंग इंफेक्शन हो जाता है, दिल की धड़कन तेज़ होती है फिर बहुत धीमी हो जाती है,

7. दिमाग में बुरा प्रभाव पड़ता है, आदमी बकलोली करने लगता है।

8. सबसे बड़ा नुकसान : फिर ऐसा समय आता है कि मिर्गी जैसे अटेक आने लगते हैं। शरीर अकड़ने लगता है, आंखे बहार आने लगती है देख कर लगता है अब ये मरने वाला है और भी सामने वाला बेहोश हो जाता है। फिर भक्क से उल्टी कर देता है। ये अटेक कभी भी आ सकता है। खाना खाते, बाथरूम में नहाते, गाडी चलाते कभी भी।

9. चोरी की आदत बढ़ती है : एक बार जब घर वाले समझ जाते हैं की हमारा लड़का तो महोली निकला तो फिर वो उसे पैसे देना बंद कर देते हैं और यहीं उस बच्चे का क्रिमिनल करियर शुरू होता है। वो घर से चोरी करना शुरू करता है और लूट/मर्डर तक इसका अंजाम जाता है

इसका कोई इलाज है

सबसे पहला इलाज तो यही है की अपने बच्चे को समझाओ ना माने तो इलाज करवाओ ज़्यादा मेरा राजा बेटा के चक्कर में रहिएगा तो एक दीन बेटा रहेगा ही नहीं।

कोडीन का नशा छुड़वाया जा सकता है इसके लिए आपको मनोचिकित्स्क के पास जाना पड़ता है या तो आप सीधा नशा मुक्ति केंद्र जाइये वहां इसके इलाज का सक्सेस रेट जयदा होता है। अगर कोई आपके परिचित का आदमी या बच्चा इसका सेवन करता है तो उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजने की सलाह दें।

रीवा में क्या माहौल है

पिछले 2 दशक से रीवा जिले में कोरेक्स का अच्छा खासा माहौल छाया है। बाकी दुनिया में जैसे फॉग चलता है यहाँ माहौल चलता रहता है। बच्चे, जवान, अधेड़, बुजुर्ग लड़के, लड़कियां इसका सेवन करते हैं। पुलिस समय समय पर सुर्ख़ियों में आने के लिए 10-12 पेटी कोरेक्स पकड़ लेती है लेकिन बाकी लाखों लीटर कोडीन नशेड़ियों के पेट में जाता है। आज तक ये लोग ये पता नहीं कर पाए की जिले में माहौल की शीशी बेचने वालों का सरगना कौन है। जानते भी होंगे तो क्यों बताएंगे।

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