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इस पेड़ की पत्ती जलती है घी के दीपक के जैसे, आयुर्वेद में है उसका बहुत उपयोग, जानिए
Pandvar Batti, Pandav Batti In Hindi: हमारे आसपास कई ऐसे पौधे मौजूद हैं जिनके बारे में शायद हमें पता नहीं है। लेकिन जैसे-जैसे जानकारी आगे बढ़ती जा रही है हमें पौधों के बारे में पता चल रहा है। आयुर्वेद में उपयोग होने वाले यही पेड़ पौधे पूर्व काल में हमारे जीवन की रक्षा करते थे। आज भी इन पौधों का उतना ही महत्व है जितना कि पूर्व काल में था। आज हम एक ऐसे पौधे के बारे में बात करने जा रहे हैं जिस के संबंध में बताया गया है कि यह घी के दीपक के समान जलता है और प्रकाश फैलाता है। पूर्व काल में इसका उपयोग पांडवों ने भी किया था। इस पौधे को पांडवर बत्ती (Pandvar Batti) के नाम से जाना जाता है।
क्यों कहते हैं पांडवर बत्ती (Pandvar Batti)
इस पत्ती के संबंध में कहा गया है कि महाभारत काल में जब पांडवों को वनवास हुआ था तो पांडव अपनी गुफाओं में प्रकाश करने के लिए इस पत्ती का उपयोग किया करते थे। इस पत्ती से कई तरह के रोगों का इलाज भी किया जा सकता है। बताया जाता है कि इस पंक्ति में आग लगाने के बाद यह धीरे-धीरे जलती है और ठीक है दीपक के समान प्रकाश फैलाती है।
क्या है आयुर्वेदिक उपयोग
पांडवर बत्ती के संबंध में कहा गया है कि इसका उपयोग आयुर्वेद में दवाओं के रूप में किया जाता है। इसकी छाल का उपयोग घाव भरने में किया जाता है। साथ ही बताया गया है कि अगर इसकी छाल का उपयोग चूर्ण के रूप में मसूड़ों में माला जाए तो मसूड़े का सूजन दूर किया जा सकता है। अरे की रंगत बढ़ाने के लिए इसका उपयोग या जाता है। शारीरिक ताकत बढ़ाने के लिए प्रियंगु के सूखे चूर्ण को दूध में मिलाकर ग्रहण करने से कमजोरी दूर होती है वहीं अगर इसका उपयोग करने पर जोड़ों के दर्द तथा त्वचा रोग से मुक्ति मिलती है।
अलग-अलग भाष में हैं कई नाम
जानकारी के अनुसार पांडवर बत्ती के नाम से जानी जाने वाली पत्ती का नाम अलग-अलग भाषा में अलग ही है। बताया जाता है कि इसे अंग्रेजी में फालिनी कहते हैं तो वहीं बंगाली में इसका नाम ब्यूटिबेरी है। वहीं गुजराती में इसे मतारा, मथारा कहा जाता है तो वहीं कन्नड़ में प्रियंगु (Priyagu), मलयालम में गवला, नलाल, जातिवृक्ष तथा पंजाबी में गढ़ला तो वहीं तमिल में सुमाली तथा तेलुगु में इसे इत्तौदुगा, वेट्टीलाई पट्टाई, सीमाकुलथु, कोडौदुगा कहा जाता है।