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गाली देने के होते हैं कई फायदे, साइंटिस्ट्स का दावा

Aaryan Dwivedi
18 Feb 2023 1:45 AM IST
Updated: 2023-02-17 20:04:08
गाली देने के होते हैं कई फायदे, साइंटिस्ट्स का दावा
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गाली देना बुरा माना जाता है। बच्चे अगर कहीं बाहर से सीख कर आ जाएं तो उन्हें मार पड़ती है और अगर घर में कोई बड़ा गाली दे दे तो उनसे घर के लोग दूरी बनाने लगते है।

गाली देना बुरा माना जाता है। बच्चे अगर कहीं बाहर से सीख कर आ जाएं तो उन्हें मार पड़ती है और अगर घर में कोई बड़ा गाली दे दे तो उनसे घर के लोग दूरी बनाने लगते है। इसलिए किसी भी भारतीय घर में गाली देना वर्जित होता है, लेकिन बदलते वक्त के साथ हर कोई गालियां देना सीख रहा है। कॉलेज स्टूडेंट् या गहरे दोस्त आपस में बिना गाली दिए बात ही नहीं करते है। कोई अगर इन युवाओं को गाली देता सुन ले तो उनके लिए गलत धारणा बना लेते है, लेकिन कई मौकों पर इससे इंसान को काफी फायदा भी होता है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह कैसे संभव है, लेकिन यह सच है। आइए आज हम आपको बताते है गुस्से में गाली देने से क्या फायदे हैं।

दरअसल, बीते दिनों एक शोध में पता चला है कि गाली देने से इंसान को कई फायदे होते हैं। आपने देखा होगा कि गुस्से के समय शांत रहने वाला इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। हर बात से चिढने लगता है जबकि गाली देकर लड़ाई खत्म करने वाला बाद में शांत और खुश नजर आता है। गुस्से में गाली देना खुद के दिल और दिमाग को संतुष्ट रखता है, जिससे शरीर के अंदर की स्थिति नियंत्रण में आ जाती है।

शोध के अनुसार, ये आदत गाली नहीं देने वाले इंसान से ज्यादा जोशीला बना रहता है, क्योंकि गाली देने से शरीर के अंदर जो गुस्से का दबाव होता है वह बाहर निकल जाता है। गाली शरीर में गुस्से के दौरान उत्पन्न होने वाले नुकसानदायक केमिकल को कम करता है और अधिक मात्रा में बनने से भी रोकता है।

अत्याचार की स्थिति में या लड़ाई की स्थिति में हमारे दिमाग पर मानसिक तनाव बढ़ता है, लेकिन जब हम उस स्थिति में जी भर कर गाली दे देते हैं तो गाली देने से मानसिक तनाव अपने आप कम होने लगता है। गुस्से में रक्त का दबाव बढ़ता है और उससे सांस फूलने लगती है, जबकि गुस्से के समय गाली देते रहने से रक्त संचार संतुलित बना रहता है। शोध में पता चला है कि खुद को स्वस्थ रखना है तो क्रोध और तनाव की स्थिति में दिल खोल कर, जी भर कर, चिल्ला कर गाली दीजिए और तब तक गाली दीजिए जब तक आप संतुष्ट ना हो जाए। तब तक आपके दिमाग में नुक्सान दायक केमिकल बनना बंद ना हो जाए।

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