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लॉन्च हुई दुनिया की पहली कोविड नेजल वैक्सीन: भारत में बूस्टर डोज के तौर पर लगाई जाएगी, जानिए Nasal Vaccine की कीमत
Nasal Vaccin in India
Nasal Vaccin in India: चीन समेत अन्य देशों में कोरोना के मामलों में एक बार फिर उछाल देखी जा रही है. इसे लेकर भारत सरकार भी अलर्ट पर है. बीते हफ्ते सरकार ने भारत में नेजल वैक्सीन के लिए मंजूरी दी गई थी और आज गुरुवार को दुनिया की पहली कोविड नेजल वैक्सीन की लॉन्चिंग हो गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और साइंस-टेक्नोलॉजी मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को दुनिया की पहली इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन iNCOVACC को लॉन्च किया. कोवैक्सिन बनाने वाली हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इसे वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के साथ मिलकर बनाया है. नाक से ली जाने वाली इस वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जा सकेगा.
भारत सरकार ने 23 दिसंबर को इस वैक्सीन की मंजूरी दी थी. सबसे पहले नेजल वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके लिए लोगों को पैसे देने होंगे. दिसंबर में भारत बायोटेक ने घोषणा की थी कि यह वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में 325 रुपए में लगवाई जा सकेगी. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में इसके लिए 800 रुपए चुकाने होंगे. इस वैक्सीन के लिए Cowin पोर्टल से ही बुकिंग होगी.
नेजल वैक्सीन सामान्य स्प्रे की तरह ले सकेंगे
फिलहाल हमें मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाई जा रही है. इस वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं. नेजल वैक्सीन वो होती है जिसे नाक के जरिए दिया जाता है. क्योंकि ये नाक के जरिए दी जाती है इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है. यानी इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है और न ही ओरल वैक्सीन की तरह ये पिलाई जाती है. यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है.
प्राइमरी और बूस्टर के तौर पर दी जा सकेगी
इंट्रानेजल वैक्सीन को कोवैक्सिन और कोवीशील्ड जैसी वैक्सीन्स लेने वालों को बूस्टर डोज के तौर पर दिया जाएगा. हालांकि इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. भारत बायोटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन डॉ. कृष्णा एल्ला ने कुछ समय पहले कहा था कि पोलियो की तरह इस वैक्सीन की भी 4 ड्रॉप्स काफी हैं. दोनों नॉस्ट्रिल्स में दो-दो ड्रॉप्स डाली जाएंगी.
इन्फेक्शन-ट्रांसमिशन ब्लॉक करेगी नेजल वैक्सीन
इस नेजल वैक्सीन का नाम iNCOVACC रखा गया है. पहले इसका नाम BBV154 था. इसकी खास बात यह है कि शरीर में जाते ही यह कोरोना के इन्फेक्शन और ट्रांसमिशन दोनों को ब्लॉक करती है. इस वैक्सीन को इंजेक्शन से नहीं दिया जाता, इसलिए इन्फेक्शन का खतरा नहीं है. इसे देने वाले हेल्थकेयर वर्कर्स को भी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी.
नेजल वैक्सीन मौजूदा टीके से कैसे अलग है
- इस समय भारत में लग रही वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं. दूसरे डोज के 14 दिन बाद वैक्सीनेट व्यक्ति सेफ माना जाता है. ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिन में ही असर दिखाने लगती है.
- इफेक्टिव नेजल डोज न केवल कोरोना वायरस से बचाएगा, बल्कि बीमारी फैलने से भी रोकेगा. मरीज में माइल्ड लक्षण भी नजर नहीं आएंगे. वायरस भी शरीर के अन्य अंगों को नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा.
- यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इस वजह से ट्रैकिंग आसान है. इसके साइड इफेक्ट्स भी इंट्रामस्कुलर वैक्सीन के मुकाबले कम हैं. इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि सुई और सीरिंज का कचरा भी कम होगा.
नेजल वैक्सीन काम कैसे करती है?
कोरोनावायरस समेत कई माइक्रोब्स (सूक्ष्म वायरस) म्युकोसा (गीला, चिपचिपा पदार्थ जो नाक, मुंह, फेफड़ों और पाचन तंत्र में होता है) के जरिए शरीर में जाते हैं. नेजल वैक्सीन सीधे म्युकोसा में ही इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है.
यानी, नेजल वैक्सीन वहां लड़ने के लिए सैनिक खड़े करती है जहां से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है. नेजल वैक्सीन आपके शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन A (igA) प्रोड्यूस करती है. माना जाता है कि igA इन्फेक्शन को अर्ली स्टेज में रोकने में ज्यादा कारगर होता है. ये इन्फेक्शन रोकने के साथ-साथ ट्रांसमिशन को भी रोकता है.