ग्वालियर

एमपी में यहां बन रहा दुनियां का सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर, सूर्य देव सहित नौ ग्रह पत्नी संग होंगे विराजमान

Sanjay Patel
14 Jan 2023 9:28 AM GMT
Updated: 2023-01-14 09:31:35
एमपी में यहां बन रहा दुनियां का सबसे बड़ा नवग्रह मंदिर, सूर्य देव सहित नौ ग्रह पत्नी संग होंगे विराजमान
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सूर्य सहित नौ ग्रहों का जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है जिसे ज्योतिषाचार्य और विज्ञान भी स्वीकार करते हैं। अब नौ ग्रहों के दर्शन उनकी पत्नियों के साथ लोगों को जल्द ही मिल सकेगा।

सूर्य सहित नौ ग्रहों का जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है जिसे ज्योतिषाचार्य और विज्ञान भी स्वीकार करते हैं। अब नौ ग्रहों के दर्शन उनकी पत्नियों के साथ लोगों को जल्द ही मिल सकेगा। इसके लिए ग्वालियर जिले की डबरा तहसील में प्रदेश का सबसे बड़ा मंदिर बनाया जा रहा है जिसका नाम है नवग्रह मंदिर। इस मंदिर का कार्य भी लगभग 90 प्रतिशत पूरा कर लिया गया है।

12 एकड़ में बन रहा नवग्रह मंदिर

जानकारों की मानें तो मंदिर को विज्ञान और ज्योतिष दोनों की मान्यताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। डबरा शहर के पश्चिमी छोर में नवग्रह मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। मंदिर का निर्माण 12 एकड़ में किया जा रहा है। नवग्रह मंदिर निर्माण में द्रविड़, फारस और मिश्रित शैली का उपयोग किया गया है। संपूर्ण मंदिर का निर्माण गोलाकार रूप में किया गया है। इस निर्माण में वास्तु और विज्ञान दोनों का ध्यान रखा गया है। वास्तु के अनुसार गोलाकार वस्तु पर अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता तो विज्ञान के अनुसार ग्रह वृत्ताकार कक्षाओं में ही भ्रमण करते हैं।

विशाल तालाब का जल मंदिर की करेगा परिक्रमा

बताया गया है कि मंदिर के पास एक विशाल तालाब का भी निर्माण कराया गया है। तालाब में प्रवाहित होने वाला जल मंदिर की परिक्रमा करते हुए वापस तालाब में पहुंच जाएगा। जल के परिक्रमा का क्रम अनवरत जारी रहेगा। जिसके पीछे का तर्क भी ज्योतिष के अनुसार ही लिया गया है। क्योंकि जब सूर्य देव को पृथ्वी पर विराजित किया जाता है तो उनके तेज को अथवा यूं कहें कि ऊर्जा को नियंत्रित करने के लिए जल की आवश्यकता पड़ती है। इस वर्ष के अंत या अगले वर्ष के प्रारंभ में इस नवग्रह मंदिर का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

मंदिर में यह होंगे विराजमान

ग्वालियर के डबरा में बनाए जा रहे नवग्रह मंदिर में सूर्य-संध्या, छायादेवी, चंद्र-रोहिणी देवी, मंगल-शक्तिदेवी, बुध-इलादेवी, वृहस्पति-तारादेवी, शुक्र-सुकीर्ति-उजस्वती देवी, शनि-नीला देवी, राहु-सीम्हीदेवी, केतु-चित्रलेखादेवी के संग विराजमान होंगे। मंदिर में अष्टधातु और मार्बल की आदमकद प्रतिमाएं स्थापित की जा रही हैं। सारे ग्रहों की मूर्तियां ज्योतिष के अनुसार बनाई जाकर स्थापित की जाएंगी। इस दौरान उनकी हाथों की मुद्राएं, वस्त्रों की ऊंचाई का भी ध्यान रखा गया है। सभी मूर्तियों की ऊंचाई सूर्यदेवी की मूर्ति की ऊंचाई के अनुरूप स्थापित की गई हैं ताकि एक ग्रह की दृष्टि दूसरे ग्रह पर न पड़ सके। परशुराम लोक न्यास द्वारा बनाए जा रहे इस मंदिर के संरक्षक और समाजसेवी श्रीमन नारायण मिश्र का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण सभी चीजों को ध्यान में रखकर कराया जा रहा है। यह मध्यप्रदेश का पहला मंदिर होगा जहां लोग एक साथ सभी ग्रहों की शांति के लिए पूजा पाठ कर सकेंगे।

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