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भारत में यहां महिलाओं को होती है दूल्हा बदलने की भी आजादी, रश्में जानकर हो जाएंगे हैरान!
देश की अनुसूचित जनजाति न सिर्फ प्रकृति की रक्षक रही हैं बल्कि इनके रीति रिवाज में महिलाओं को खुलकर जीवन जीने की आजादी है। हांलाकि देश के अलग-अलग हिस्सों में निवास करने वाली जनजाति समाज के अलग-अलग रस्म-रिवाज एंव रहन सहन है। इसके बीच भी जनजाति समुदाय की महिलाएं खुलकर मजेदार जीवन जीती है। इन जनजातियों में भील जनजाति का इतिहास युगों पुराना है। यह जनजाति यूपी और राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में निवास कर रही है।
राजस्थान की भील जनजाति देश की सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है। यहां पर महिलाओं को इतनी आजादी होती है कि वो पुरुषों के साथ बैठकर खुलकर हुक्का और शराब पी सकती हैं। ऐसा करने पर महिलाओं के चरित्र पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता है। इतना ही नही भील समुदाय में महिलाओं को कई शादियां करने की आजादी है। पहली शादी करने के बाद भी उनको कई जीवनसाथी रखने की अनुमति होती है।
अपनी इच्छा से विवाह की आजादी
मलतः मध्यप्रदेश की रहने वाली गोंड़ जनजाति सदियों से अमरकंटक पर्वत श्रेणी के आसपास रहती आई हैं। विंध्य, सतपुड़ा तथा मांडला के घने जंगलों में इनका शुरुआती ठिकाना था, लेकिन आज यह जनजाति पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, झारखंड और असम, आंध्र प्रदेश में भी निवास करती है। इस जनजाति के कई गोत्र होते हैं, इस समुदाय में युवाओं को अपनी इच्छा से विवाह करने की आजादी होती है, इस जनजाति में एक ही गोत्र के अंदर शादी करने की मनाही है। गोंड जनजाति कृषि, पशु पालन भी करते हैं। यह जनजाति अपने महोत्सवों तथा धार्मिक उत्सव को गीत एवं नृत्यों के माध्यम से मनाते है। ये कई भाषाओं को बोलने के साथ ही पूजा-पाठ एवं तंत्रमंत्र पर विश्वास रखते है।
भगवान राम का भी किए थें सहयोग
आदिकाल से लेकर वर्तमान काल तक आदिवासी समुदाय का शौर्य गाथा से भरा पड़ा है। भगवान श्री राम जब वनवास पर गए तो उस समय भी जनजाति यानी ट्राइबल समुदाय के लोगों ने उनका सहयोग किया था। कुछ जनजातियां ऐसी भी हैं जो अभी तक मुख्यधारा से दूर हैं।