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गांधी जी को मारने के बाद नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में जो बयान दिया था वो आपको जानना चाहिए
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Why Godse Killed Gnadhi: 30 जनवरी 1948 के दिन गांधी जी के परम शिष्य कहे जाने वाले नाथूराम गोडसे ने उन्ही की गोली मारकर हत्या कर दी थी और बाद में आत्मसमर्पण कर दिया था. यह देश के लिए चौकाने वाला था कि जिस शख्स ने जीवनपर्यन्त देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी हमेशा गांधी के साथ रहा वो उस महात्मा कि हत्या कैसे कर सकता है। उस घटना के बाद से आजतक नाथूराम गोडसे को आतंकी, देशद्रोही और ना जाने कितनी गालियों के साथ उनके नाम को सम्बोधित किया जाता है। समाज का एक तबका उनके समर्थन में है लेकिन खुलकर कुछ कहने से डरता है और दूसरा तबका नाथूराम से आज भी नफरत करता है।
ऐसी क्या वजह थी के नाथूराम गोडसे को मोहनदास करमचंद्र गांधी की हत्या करनी पड़ी, इसका जवाब खुद गोडसे ने कोर्ट में दिया था. गोडसे के लिखे कई पत्र आज भी गोपनीय है उन्हें सार्वजानिक नहीं किया गया है लेकिन उनके कोर्ट में दिए गए बयान को कुछ सालों पहले सबके सामने पेश किया था. जब नाथूराम ने कोर्ट में गांधी को मारने का कारण बताया था तो कोर्ट में बैठे हर शख्स की आंखों से आंसुओं की धाराएं बहने लगी थी।
गोडसे ने अंतिम बयान में क्या कहा था
कोर्ट में गोडसे के कहा था- ' सम्मान, कर्तव्य और अपने देशवासियों के प्रति प्यार कभी-कभी हमें अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए विवश कर देता है. मैं कभी यह नहीं मान सकता कि किसी आक्रामक का सशस्त्र प्रतिरोध करना कभी ग़लत या अन्यायपूर्ण भी हो सकता है'
प्रतिरोध करना यदि संभव है तो ऐसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करने को मैं नैतिक कर्तव्य मानता हूं, मुसलमान मनमानी कर रहे थे, या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसमर्पण कर दे और उनकी सनक, मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाए या फिर उनके बिना काम चलाए। वे (गांधी जी) अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे.
महात्मा गांधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे, उन्होंने सिर्फ मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य के साथ बलात्कार किया। गांधी जी के सभी प्रयोग केवल हिन्दुओ की कीमत पर किए जाते थे, जो कांग्रेस अपनी देशभक्ति और समाजवाद का दंभ भरा करती थी, उसी ने चुपके से बन्दूक की नोंक पर पाकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया।
मुस्लिम तुषितकरण की नित्ति के कारण भारत माता के टुकड़े कर दिए गए और 15 अगस्त के बाद देश का एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई. नेहरू और उनकी भीड़ की स्वीकारोक्ति के साथ एक ही धर्म के आधार पर अलग राज्य बना दिया गया. इसी को वे बलिदान द्वारा जीती गई स्वतंत्रता कहते हैं और किसका बलिदान?
जब कांग्रेस के नेताओं ने गांधी जी की सहमति से इस देश को काट डाला, जिसकी हम पूजा करते हैं. तो मेरा मष्तिस्क क्रोध से भर गया. मैं साहसपूर्वक कहता हूं कि गांधी अपने कर्तव्य में असफल हो गए. उन्होंने स्वयं को पाकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया।
मैं कहता हूं की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी, जिनकी नीतियों और कार्यों से करोडो हिन्दुओं को केवल बर्बादी और विनाश मिला।ऐसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं थी, जिनके द्वारा उस अपराधी को सज़ा दिलाई जा सके. इसी लिए मैंने इस घातक रास्ते का अनुसरण किया।
मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करुगा, जो मैंने किया उसपर मुझे गर्व है, मुझे संदेह नहीं है कि इतिहास के ईमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे। जबतक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीचे से ना बहने लगे तबतक मेरी अस्थियों को विसर्जित मत करना।
नाथूराम चाहते थे देश से जात पात ख़त्म हो जाए
नाथूराम गांधी जी के मार्ग में चलने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने देश की स्वतंत्रता के बाद महात्मा कहे जाने वाले गांधी जी से यह आग्रह किया था कि अब हम नया राष्ट्र बनाने जा रहे हैं. हम देश से जात-पात खत्म कर देते हैं ना कोई ब्राम्हण ना कोई शूद्र सब एक सामान। लेकिन महात्मा गांधी ने ऐसा करने से मना कर दिया था उनका मानना था कि यह धर्म का एक भाग है।
लेखक नाथूराम गोडसे की पैरवी नहीं करता, ना ही किसी की हत्या को सही ठहराता है. इस लेख का मकसद सिर्फ यह बताना है कि नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को मारने कि क्या वजह बताई थी।
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