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सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस को बैन क्यों किया था? बैन के बाद RSS बहाल कैसे हुई
Why did Sardar Vallabhbhai Patel ban RSS: 4 फरवरी 1948 को यानी महात्मा गांधी की हत्या के 4 दिन बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) पर बैन लगा दिया था. उन्होंने कहा था- RSS के सदस्यों ने खतरनाक काम किए हैं। देश के कुछ हिस्सों में आगजनी, डकैती, हत्या और अवैध हथियारों के लेन-देन में शामिल रहे हैं। संघ प्रेरित हिंसा ने कई लोगों की जान ली है। राष्ट्रपिता बापू इसके ताजा शिकार बने हैं।'
आरएसएस पर बैन क्यों लगा था
Why RSS Was Banned: बात 30 जनवरी 1948 की है. दिल्ली के बिड़ला भवन में महात्मा गांधी प्रार्थना स्थल की तरफ जा रहे थे. उसी भीड़ में नाथू राम गोडसे अपने साथियों के साथ शामिल थे. नाथू ने दोनों हाथ जोड़े थे और बीच में रिवॉल्वर छिपाई थी
कुछ देर बाद नाथूराम ने गांधी के सीने में तीन गोलियां मार दीं. बापू जमीन में गिर गए और कुछ ही सेकेंड में उनके प्राण निकल गए. गोडसे को तुरंत अरेस्ट कर लिया गया जबकि उसके दो साथी नारायण आप्टे और विष्णु करकरे दिल्ली छोड़कर भाग गए।
नाथूराम को RSS का सदस्य माना जाता था. इसी लिए तत्कालीन केंद्र सरकार यानी कांग्रेस सरकार ने गांधी की हत्या का आरोप RSS पर भी लगाया और संगठन को बैन कर दिया। 4 फरवरी को केंद्र सरकार ने नोटिस जारी करते हुए RSS को यह कहकर बैन किया कि-
संघ के सदस्यों ने खतरनाक काम किए हैं। देश के कुछ हिस्सों में RSS के सदस्य आगजनी, डकैती, हत्या और अवैध हथियारों के लेन-देन में शामिल रहे हैं। संघ प्रेरित हिंसा ने कई लोगों की जान ली है। राष्ट्रपिता बापू इसके ताजा शिकार बने हैं। संघ के सदस्यों ने पर्चे बांटकर लोगों को आंतकी तरीके अपनाने, हथियार इकट्ठा करने, सरकार के प्रति असंतोष पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये सारे काम गुप्त रूप से किए गए। भारत सरकार देश में नफरत और हिंसा फैलाने वाली ताकतों को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नीति के तहत, सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गैरकानूनी घोषित करने का फैसला लिया है। इस कदम में सरकार को कानून का पालन करने वाले सभी नागरिकों का समर्थन मिला है।
आरएसएस से बैन कैसे हटा?
बैन लगने के 16 महीने बाद तक RSS के लोग प्रतिबंध हटाने के लिए जद्दोजहत करते रहे. जुलाई 1948 में सरदार पटेल ने हिंदू महासभा के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पत्र लिखा था।
इसमें उन्होंने लिखा- मैं मानता हूं कि हिंदू महासभा के चरमपंथी लोग गांधी हत्या की साजिश में शामिल थे। RSS की गतिविधियां देश और सरकार के लिए खतरा हैं। हमारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैन लगने के बाद भी RSS की गतिविधियां बंद नहीं हुई हैं।
सितंबर 1948 में सरसंघचालक गोलवलकर ने गृह मंत्री सरदार पटेल को पत्र लिखकर संघ से बैन हटाने की मांग की। इस पत्र के जवाब में सरदार पटेल ने कहा-
'हिंदू समाज को संगठित करना और मदद करना एक बात है, लेकिन उनके दुखों का निर्दोष और असहाय लोगों से बदला लेना दूसरी बात है। RSS के सदस्यों के भाषणों में सांप्रदायिक जहर होता है। हिंदुओं को इकट्ठा करने के लिए जहर फैलाना जरूरी नहीं है। इस जहर की वजह से देश ने राष्ट्रपिता बापू को खो दिया। गांधीजी के निधन के बाद RSS के लोगों ने मिठाई बांटकर खुशियां मनाईं।'
गिरफ्तारी के 6 महीने बाद संघ के तत्कालीन सरसंघचालक एम. एस. गोलवलकर (M s. Golwalkar) को जेल से रिहा कर दिया गया। इसके बाद गोलवलकर ने पंडित नेहरू और सरदार पटेल को पत्र लिखकर RSS से बैन हटाने के लिए कहा। इसके जवाब में नेहरू ने कहा कि उनके पास RSS के गांधी हत्या में शामिल होने के सबूत हैं।
सबूत मांगे तो नहीं दिए
गोलवलकर ने केंद्र सरकार को चुनौती दी कि उन सबूतों को सार्वजनिक करें और RSS पर मुकदमा चलाए। , सरकार ने कोई सबूत जारी नहीं किए। इसके बाद गोलवलकर ने बंद पड़ी शाखाओं को फिर से चालू करने का आदेश दिया। लेकिन ऐसा करने पर सरकार ने उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया। 9 दिसंबर 1948 को RSS ने सत्याग्रह शुरू किया।
उनकी मांग थी- आरोप साबित करो, बैन हटाओ और गुरुजी यानी गोलवलकर को रिहा करो। एक महीने के अंदर RSS के 80 हजार से ज्यादा सदस्य गिरफ्तार हो गए।
गोडसे ने कहा था मैंने RSS का सदस्य नहीं
बात 8 नवंबर 1948 की है. गांधी की हत्या के आरोप में गोडसे को कोर्ट में पेश किया गया. गोडसे ने एफिडेविट देते हुए कहा था कि मैं गांधी की हत्या के वक़्त RSS का सदस्य नहीं था. मैंने कई सालों तक RSS में काम किया। बाद में मुझे लगा कि हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए राजनीति में हिस्सा लेना जरूरी है। इसलिए मैंने संघ छोड़कर हिंदू महासभा की सदस्यता ले ली थी।
ऐसे हटा था RSS से बैन
RSS पर बैन के एक साल पूरे हो गए थे. सरकार यह सबूत दे ही नहीं पाई थी कि गांधी की हत्या में RSS का हाथ था. लिहाजा सरकार बैकफुट में जाने लगी. 11 जुलाई 1949 के दिन केंद्र सरकार को RSS से बैन हटाना पड़ा. लेकिन सरकार ने एक शर्त रखी थी. वो शर्त ये थी
RSS ने सरकार से वादा किया कि वो संविधान और तिरंगे के लिए वफादार रहेगा। संगठन में हिंसक लोगों के लिए कोई जगह नहीं होगी। RSS अपना संविधान बनाएगा जिसके तहत संगठन में लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव होंगे। साथ ही आरएसएस एक सांस्कृतिक संगठन के तौर पर काम करेगा और राजनीति में कदम नहीं रखेगा।