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ताजमहल बनवाने वाले शाहजहां के जनाजे को किन्नरों और गुलामों ने क्यों दिया था कंधा, बेहद ही रोचक है किस्सा
दुनिया में राज्य करने वाले, प्यार के प्रतीक स्वरूप दुनिया के सात अजूबों में से एक भवन का निर्माण करवाने वाले शहंशाह शाहजहां के जनाजे को गुलामों और किन्नरों ने कंधा दिया था। ऐसा क्यों हुआ यह ज्यादा लोगों को पता नही है। कहने का मतलब यह कि शायद कम ही लोगों को पता है। लेकिन यह बात सत्य है। इतिहास के पन्नों में इस बात का जिक्र है के दिल्ली के बादशाह रहे शाहजहां को अपने ही लोगों ने कंधा तक नहीं दिया। बताया जाता है कि राजमहल में निवास करने वाले किन्नर और गुलामों ने शाहजहां के जनाजे को कंधा दिया और सुपुर्द ए खाक किया था।
जाने क्या था कारण
बात इतिहास से जुड़ी हुई है इसलिए बताना आवश्यक है कि शाहजहां के 7 पुत्र थे। तीन पुत्रों की मृत्यु जन्म लेने के कुछ महीनों बाद हुई। शेष 4 पुत्र के साथ रहे। लेकिन समय ने ऐसी करवट बदली की शाहजहां का पुत्र औरंगजेब जो बहुत ही क्रूर था उसने अपने पिता को कैद में डाल दिया और अपने तीन भाइयों की हत्या कर दी।
प्यार को तरसता रहा शाहजहां
कहा जाता है कि कैद करने के बाद औरंगजेब अपने पिता से एक बार भी मिलने नहीं गया। यहां तक कि जब शाहजहां की मौत हो गई तो उसके अंतिम कार्यक्रम जनाजे में भी शामिल नहीं हुआ। यह इतिहास का काला दिन ही था जब प्यार को मूर्त रूप देने वाले और प्यार के प्रतीक स्वरूप ताजमहल जैसी सात अजूबों में से एक भवन का निर्माण करवाने वाले शाहजहां को अपने अंतिम क्षणों में अपनों का ही प्यार नहीं मिला।
कहा जाता है कि शाहजहां जब कैद में था उस समय उसकी देखरेख उसकी बड़ी बेटी जहांआरा किया करती थी। शाहजहां की मृत्यु 13 जनवरी 1666 ईस्वी को 74 वर्ष की उम्र में हुई थी।