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कौन था खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरांवाले, जिसका जिक्र सिद्धू मूसे वाला ने अपने गाने में किया था
जरनैल सिंह भिंडरांवाले की कहानी Story of Jarnail Singh Bhindranwale In Hindi: खालिस्तानी अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले का नाम सिद्धू मूसे वाले से जोड़ा जा रहा है, और इसी लिए मूसे वाले की हत्या के बाद उनके फैंस और हेटर्स ने दो फाड़ मच गई है. दरअसल मूसे वाला ने अपने एक गाने में जरनैल सिंह भिंडरांवाले की फुटेज दिखाई थी तभी से मूसे वाला को खालिस्तानी समर्तक बताया जाने लगा था. सवाल यह है कि जरनैल सिंह भिंडरांवाले कौन था? जरनैल सिंह भिंडरांवाले की कहानी क्या है कि लोग उसे खालिस्तानी कहते हैं?
कौन था जरनैल सिंह भिंडरांवाले/ जरनैल सिंह भिंडरांवाले का इतिहास
Who Was Jarnail Singh Bhindranwale In Hindi: यह बात है 70 के दशक की, उस वक़्त पंजाब में खालिस्तान समर्थन और अलगाववाद चरम पर था, देश विरोधी ताकतें पंजाब को भारत से अलग कर नया मुल्क खालिस्तान बनाने के लिए सिक्ख संप्रदाय के लोगों को भड़काने में लगी थीं. हिंसा-लूट-हत्या आम हो चुकी थी.
जरनैल सिंह भिंडरांवाले की जीवनी (Biography of Jarnail Singh Bhindranwale)
Jarnail Singh Bhindranwale Story In Hindi: उसी वक़्त 7 साल बरस का एक लड़का जो अमृतसर के चौक मेहता इलाके में रहता था वो टकसाल पहुंच कर सिक्ख धर्म का इल्म लेने के लिए पहुंचा था, उस बच्चे में तेज़ था, वह पड़ने में बहुत अच्छा और बुद्धिमान था, उसके गुरु उसकी काबिलियत देखकर हैरान रह जाते थे. सिक्ख धाम का ज्ञान लेने के दौरन उसके दिल में अपने धर्म को लेकर बड़ी आस्था जाग्रत हो चुकी थी. लेकिन एक वक़्त ऐसा आया कि उस बुद्धिमान बच्चे की बुद्धि भ्रष्ट होने लगी और वह कट्टरपंथी बन गया, उस बच्चे का नाम Jarnail Singh Bhindranwale था.
लेकिन टकसाल के गुरुप्रमुख, जरनैल सिंह भिंडरांवाले से इतने प्रभावित थे कि अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने संगत प्रमुख के बेटे की जगह जरनैल सिंह भिंडरांवाले को टकसाल का उत्तराधिकारी बना दिया था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले काफी समय तक टकसाल का प्रमुख था. आज भी टकसाल में जरनैल सिंह भिंडरांवाले को शहीद का दर्जा दिया जाता है.
जरनैल सिंह भिंडरांवाले अलगाववादी क्यों बना
History of Jarnail Singh Bhindranwale: ऐसा कहा जाता है कि जरनैल सिंह भिंडरांवाले को हिंसक बनाने में कांग्रेस की भूमिका थी, पंजाब में अकालियों की राजनीति को खत्म करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने जरनैल सिंह को खूब समर्थन दिया, कह लीजिये कि उसके कंधे में बन्दूक रखकर चलाने का काम किया। साल 1978 में अम्रृतसर में निरंकारियों के सम्मेलन में जरनैल सिंह भिंडरांवाले के 13 समर्थकों की हत्या हो गई थी और इसी दिन से भिंडरांवाले को सरेआम हिंसा करने की वजह मिल गई थी.
जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उसके समर्थकों ने अलग सिक्ख मुल्क बनाने के नाम पर कई मासूम लोगों का कत्ल किया, अलग सिख देश यानी खालिस्तान की मांग उग्र और खूनी हो गई थी. जिस जरनैल सिंह भिंडरांवाले का इस्तेमाल कांग्रेस ने अकाली दल की रणजीति के लिए किया था वो अब सरकार का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया था.
निरंकारियों का कट्टर दुश्मन था जरनैल सिंह भिंडरांवाले
भिंडरांवाले की पहचान तब और बढ़ी जब निरंकारी संप्रदाय के अध्यक्ष गुरुबचन सिंह और फिर बाद में हिंद समाचार-पंजाब केसरी अख़बार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हुई. लाला जगत नारायण निरंकारी संत का समर्थन करते थे.
इस घटना के बाद भिंडरांवाले ने अपने ठिकानाअमृतसर के स्वर्ण मंदिर को बना लिया था, वो कभी वहां से निकलता ही नहीं था, क्योंकि उसे यकीन था कि सरकार और सेना कभी स्वर्ण मंदिर के अंदर नहीं घुसेगी। वह तबतक स्वर्ण मंदिर से नहीं निकला जबतक उसका अंत नहीं हो गया
जरनैल सिंह भिंडरांवाले की मौत कैसे हुई थी
How Jarnail Singh Bhindranwale Died: सरकार ने Jarnail Singh Bhindranwale को रुक जाने और आत्म समर्पण कराने की तमाम कोशिशें की लेकिन वो रुकने वालों में से नहीं था. उसका मानना था कि लक्ष्य तक पहुचंने के लिए हिंसा की जाए तो वह गलत नहीं होता है. और उसका लक्ष्य था भारत से अलग एक सिक्ख राज्य, जो किसी को मंजूर नहीं था.
ऑपरेशन ब्लू स्टार कब हुआ था
Operation Blue Star Jarnail Singh Bhindranwale Death: देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को मंजूरी देदी थी, उस वक़्त जरनैल सिंह भिंडरांवाले अपने साथियों के साथ स्वर्ण मंदिर में अपना ठिकाना बनाए हुए थे, जरनैल सिंह भिंडरांवाले को लगता था कि सरकार कभी सिक्खों को नाराज करने के लिए स्वर्ण मंदिर में सेना नहीं भेजेगी, लेकिन वो गलत था. इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में सेना भेज दी.
3 जून से लेकर 6 जून 1984 के बीच जरनैल सिंह भिंडरांवाले के लोगों और सेना के बीच जंग हुई इस दौरान 83 सैनिक और 492 नागरिक सहित खालिस्तानी समर्थक मारे गए, अंत में 7 जून 1984 के दिन जरनैल सिंह भिंडरांवाले को भी गोलियों से छलनी कर दिया गया, उसका शव अकाल तख़्त के आंगन में पड़ा मिला। यहीं से जरनैल सिंह भिंडरांवाले का अंत हुआ और सिक्ख दंगों की शुरुआत हुई
सेना की कार्रवाई में अकाल तख़्त भी तबाह हो गया था, स्वर्ण मंदिर में गोलियों के इतने खोखे थे कि फर्श के ऊपर 2 इंच तक सिर्फ खोखे ही नज़र आ रहे थे, हर तरफ लाशें बिखरी पड़ी थी. जरनैल सिंह भिंडरांवाले सहित अमृतसर मंदिर में हमला करने के बाद इंदिरा गांधी की मौत की घडी नज़दीक आ गई थी. सिक्ख सरकार से बदला लेना चाहते थे और इसी के चलते 31 अक्टूबर 1984 के दिन इंदिरा गाँधी के ही सिख बॉडीगार्ड ने उन्हें गोलियों से भून डाला था.
जरनैल सिंह भिंडरांवाले को संत कहा जाता है, और उसे शहीद का दर्जा दिया जाता है, सिख लोगों में उनके प्रति आस्था है लेकिन जरनैल सिंह भिंडरांवाले का लक्ष्य भारत को अलग कर देना था, वो अलग सिख राष्ट्र चाहता था इसी लिए अलगावादी कहा जाता है.
Sidhu Moose Wala ने इसी Jarnail Singh Bhindranwale की तस्वीरें अपने एक गाने Punjab: My Motherland में दिखाई थी, इसी लिए मूसेवाला को भी खालिस्तानी समर्थक कहा जाने लगा था. उस गाने का वीडियो देखने के लिए इस लिंक में क्लिक करें