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'औरत' शब्द कहां से आया? मनोज मुंतशिर बच्चों की किताबों में लिखे 'औ से औरत' क्यों हटवाना चाहते हैं?
औरत का अर्थ: बचपन की किताबों में हमने-आपने सबने यही पढ़ा है 'अ से अनार, आ से आम, ओ से ओखली और औ से औरत' औ से औरत होती है यह आज भी हमारे-आपके बच्चों को स्कूल की हिंदी वर्णमाला की किताब में पढ़ाया जाता है. आपको लगता होगा कि औरत का अर्थ तो महिला, स्त्री या नारी ही होता है, महिला को औरत ही तो कहते हैं इसमें गलत क्या है? लेकिन शायद आपको यह मालूम नहीं है कि नारियों को अपमानित करने के लिए इतिहास में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
इंडियन लिरिसिस्ट मनोज मुन्तशिर (Manoj Muntashir) ने सरकार ने अपील की है कि बच्चों की किताबों से 'औ से औरत' शब्द को हटा दिया जाए. और आम बोलचाल की भाषा में भी महिलाओं के लिए औरत शब्द का इस्तेमाल न किया जाए. जाहिर है कि लोगों को औरत शब्द का अर्थ मालूम नहीं है मगर जब आप इसका सही अर्थ जान जाएंगे तो किसी भी स्त्री को संबोधित करने के लिए 'औरत' शब्द का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहेंगे
औरत शब्द कहां से आया, इसका क्या अर्थ है
Aurat Ka Arth: मनोज मुन्तशिर कहते हैं कि भारत में कभी भी महिलाओं को औरत शब्द से संबोधित नहीं किया गया. यह कोई भारतीय शब्द नहीं है बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों की घटिया मानसिकता और बेहूदा भाषा की देन है. भारत में महिलाओं को हमेशा नारी या स्त्री कहा जाता रहा है. मगर 16वीं सदी से स्त्रियों को औरत कहा जाने लगा.
स्त्री को औरत कहकर बुलाना हमे बहुत आसान लगता है और उन्हें नारी या स्त्री कहना टिपिकल हिंदी लगती है. दरअसल मुग़लों और खिलजियों की गुलामी ने हमारी जुबान पर यह शब्द चढ़ा दिया है. लेकिन औरत शब्द का सही अर्थ मालूम होने के बाद आप ये सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि 'क्या अपनी मां, बहन, पत्नी, दादी, बेटी या किसी भी महिला को औरत कहना उचित है?'
औरत शब्द का सही अर्थ क्या है
मुंतशिर कहते हैं कि-
औरत शब्द हमारे देश में 16वीं सदी में आया, इससे पहले हम स्त्री या नारी ही कहते थे. दरअसल औरत शब्द अरबी भाषा से आया है. इस भाषा को इस्लामिक आक्रमणकारी अपने साथ लेकर भारत आए थे. अरबी में एक शब्द है 'अवरा' जिसका अर्थ होता है योनि नग्नता (Genitals Nudity). यानी जिसके पास 'अवरा' है यानी योनि है, फीमेल जेनाइटल है वह औरत है. यही इसका असली अर्थ है.
एक स्त्री को सिर्फ उसकी योनि से जोड़कर देखना, उसके पूरे व्यक्तित्व को छोड़कर सिर्फ शरीर के एक भाग पर ध्यान देकर उसकी पहचान निर्धारित करना भारतीय सभ्यता का हिस्सा नहीं है.
मुंतशिर आगे कहते हैं-
मनुस्मृति की आलोचना करने वाले कुछ लोग सबसे आगे रहते हैं. उसी मनुस्मृति में लिखा है
'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते।। रमन्ते तत्र देवता।।
अर्थात 'जहां नारी की पूजा होती है वहीं देवताओं का वास होता है'
लेकिन मनुस्मृति की आलोचना करने वालों को 'औरत शब्द' में कहीं बुराई नज़र नहीं आती है. मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि हिंदी की पाठ्य पुस्तकों से 'औरत शब्द' हटा दिया जाए. लेकिन ये बदलाव जब होगा तब होगा आप तो औरत का सही अर्थ जान गए हैं तो अभी से अपनी भाषा बदल दीजिये।