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कुछ भी हो जाएं लेकिन रात को डॉक्टर कभी नहीं करते पोस्टमार्टम, जाने वजह : GK in Hindi
GK in Hindi: किसी भी हादसे में मौत होने के बाद पोस्टमार्टम करने की महती आवश्यकता होती है। अगर हादसा दिन में हुआ और शव समय पर अस्पताल पहुंच गये ते उनका पोस्टमार्टम हो जाता है लेकिन दिन ढल जाने के बाद डाक्टर पोस्टमार्टम करने से मना कर देते हैं। वहीं हमारे देश में नियम भी इसी तरह का बनाया गया है। आखिर नियम बानाने और डाक्टर के मना करने का क्या कारण है। आइये इसके बारे में जानते हैं।
कितने घंटे में हो जाना चाहिए पोस्टमार्टम
जानकारी के अनुसार मृतक का पोस्टमार्टम उसकी मौत के 5 से 6 घंटे के बीच में हो जाना चाहिए। इसके पीछे कारण बताया गया है कि अगर पोस्टमार्टम में देरी की गई तो मौत के 5 से 6 घंटे के बाद बाडी में कई तरह के परिवर्तन होने शुरू हो जाते हैं। कई मामलो में मौत की असली वहज पता लगाने में डाक्टरों को परेशानी हो सकती है। इसके बाद भी रात के समय पोस्टमार्टम नहीं किया जाता।
समुचित प्रकाश की व्यवस्था
रात के समय अगर पोस्टमार्टम किया जाता है तो प्रकाश की समुचित व्यवस्था का अभाव आड़े आता है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि रात के समय एलईडी तथा ट्यूबलाइट की रोशनी में घाव का रंग लाल की जगह बैगनी दिखाई देता है। रक्त का रंग लाल होता है लेकिन रात के समय एलईडी और ट्यूबलाइट की रोसनी में वह बैगनी दिखता है। ऐसे में जांच करने से हादसे का मुख्य कारण बदल सकता है। सावधानी बतौर रात के समय पीएम नहीं किया जाता।
धार्मिक कारण भी
वहीं ज्यादातर सभी समाज में रात के समय अंतेष्ठि नहीं किया जाता। यह कार्य अक्सर दिन में किया जाता है। हिन्दू धर्म में तो शाम होने के बाद किसी भी मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। ऐसे में लोग पीएम भी रात के समय नहीं करवाना चाहते हैं। वहीं पीएम के पहले परिजनो की स्वीकृति होनी आवाश्यक है।
नोट-ः उक्त समाचार में दी गई जानकारी सूचना मात्र है। रीवा रियासत समाचार इसकी पुष्टि नहीं करता है। दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है। पूर्ण जानकारी के लिए विभाग से जानकारी प्राप्त करें।